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कोरोना काल में संगठन विस्तार में जुटा माओवादी संगठन

Ranchi : कोरोना संकट और इसकी वजह से हुए लॉकडाउन ने शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ी है. वहीं दूसरे राज्यों से अपने गांव को लौटे प्रवासी श्रमिक भी रोजगार के अभाव से जूझ रहे हैं. इसके अलावा कोरोना काल में सरकारी तंत्र भी कोरोना से जंग में लगी है. अब इसी स्थिति का फायदा उठाने की फिराक में झारखंड के नक्सली संगठन सक्रिय हो गए हैं और संगठन विस्तार में जुटे हैं.

माओवादी सोशल मीडिया और पोस्टर का कर रहे इस्तेमाल

झारखंड पुलिस के द्वारा लगातार चलाए गए आभियान से माओवादी संगठन बैक फुट पर आ गए थे. ऐसे में माओवादी संगठन अपना कैडर बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया और पोस्टर का इस्तेमाल कर रहे है. पिछले सप्ताह भाकपा माओवादी के पलामू के जोनल कमांडर सुभाष ने सुभाष राज नाम के फेसबुक आईडी से पोस्ट कर युवाओं को संगठन से जुड़ने का अपील किया था. इतना ही नहीं नक्सली कमांडर  सुभाष ने संपर्क के लिए 97035..2731 और 979..11406 नंबर भी जारी किया था.फेसबुक पर सुभाष राज नाम के आईडी से पोस्ट कर कहा गया था कि जो भी लड़का- लड़की हमारे संगठन में शामिल होना चाहते हैं वह संपर्क करें और एक लाख रुपये महीना कमाए. इससे पहले साल 2020 में लॉक डाउन के माओवादियों ने राज्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के

गांवों में मुखिया, मुंडा और डाकुवा को पत्र लिख हर गांव से 10-10 युवक-युवती की मांग किया था. माओवादियों ने बेरोजगार युवाओं को लुभाने के लिए हर महीने 10 हजार तक तनख्वाह का प्रलोभन तक दिया जा रहा था. चतरा, लातेहार, गिरिडीह, हजारीबाग और चाईबासा के गांवों से नक्सली नेताओं के हस्तलिखित पत्र और पर्चे बरामद किए गए थे.

बदलते समय के साथ माओवादियों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया

बदलते समय के साथ माओवादियों ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया है. माओवादी अब सुरक्षाबलों से आमने सामने की लड़ाई से बच रहे हैं. जानकारी के अनुसार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की गतिविधियों पर माओवादियों की नजर होती है. बाजार या सुनसान जगह पर सुरक्षाबलों की लूज मूवमेंट का फायदा माओवादी उठा रहे हैं. हाल के महीनों में देखा जाए तो कई बार माओवादियों के द्वारा सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमला किया गया है.

 झारखंड के 13 जिले नक्सल प्रभावित झारखंड के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों में खूंटी, गुमला, लातेहार, सिमडेगा, पश्चिम सिंहभूम, रांची, दुमका, गिरिडीह, पलामू, गढ़वा, चतरा, लोहरदगा और बोकारो है. सरायकेला,पूर्वी सिंहभूम, हजारीबाग,धनबाद, गोड्डा भी नक्सलवाद की समस्या से जूझ रहे हैं. वहीं कम संवदेनशील जिलों में कोडरमा,जामताड़ा, पाकुड़ और रामगढ़ है. जबकि देवघर-साहेबगंज नक्सल प्रभावित नहीं माना गया है.

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