alt="" width="600" height="400" /> सुबह से ही व्रतधारी महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजधजकर वट (बरगद) वृक्ष के नीचे एकत्रित हुईं. उन्होंने निर्जल उपवास रखकर पूरे श्रद्धा-भाव से वट सावित्री की पूजा की. इस दौरान पुजारियों ने महिलाओं को वट सावित्री व्रत की कथा सुनाई. कथा के माध्यम से बताया गया कि सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और भक्ति के बल पर यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लिए थे. तभी से इस दिन को पति की दीर्घायु और सौभाग्य की कामना के रूप में मनाया जाता है. पूजा-अर्चना के बाद महिलाओं ने वट वृक्ष की परिक्रमा कर पवित्र डोर (सूत्र) बांधा और पति के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया. मान्यता है कि इस व्रत से पति की आयु में वृद्धि होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है. चक्रधरपुर के राजबाड़ी रोड स्थित रानी तालाब के पास, एसबीआई परिसर, चांदमारी स्थित हनुमान मंदिर, दो नंबर थाना क्षेत्र, पोर्टर-खोली, इतवारी बाजार, आरई कॉलोनी, रिटायर्ड कॉलोनी, लोको कॉलोनी आदि स्थानों पर वट वृक्षों के नीचे पूजा के लिए भारी संख्या में सुहागिन महिलाओं की उपस्थिति रहीं.
सुहागिनों ने वट सावित्री व्रत कर पति की लंबी उम्र की कामना की

Chakadharpur (Sambhu Kumar) : वट सावित्री पर सोमवार को पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा, चक्रधरपुर, मनोहरपुर, गोईलकेरा सहित अन्य प्रखंडों में सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत और पूजा-अर्चना की. इस दौरान महिलाओं ने परिवार के सुख-समृद्धि की भी कामना की.
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alt="" width="600" height="400" /> सुबह से ही व्रतधारी महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजधजकर वट (बरगद) वृक्ष के नीचे एकत्रित हुईं. उन्होंने निर्जल उपवास रखकर पूरे श्रद्धा-भाव से वट सावित्री की पूजा की. इस दौरान पुजारियों ने महिलाओं को वट सावित्री व्रत की कथा सुनाई. कथा के माध्यम से बताया गया कि सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और भक्ति के बल पर यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लिए थे. तभी से इस दिन को पति की दीर्घायु और सौभाग्य की कामना के रूप में मनाया जाता है. पूजा-अर्चना के बाद महिलाओं ने वट वृक्ष की परिक्रमा कर पवित्र डोर (सूत्र) बांधा और पति के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया. मान्यता है कि इस व्रत से पति की आयु में वृद्धि होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है. चक्रधरपुर के राजबाड़ी रोड स्थित रानी तालाब के पास, एसबीआई परिसर, चांदमारी स्थित हनुमान मंदिर, दो नंबर थाना क्षेत्र, पोर्टर-खोली, इतवारी बाजार, आरई कॉलोनी, रिटायर्ड कॉलोनी, लोको कॉलोनी आदि स्थानों पर वट वृक्षों के नीचे पूजा के लिए भारी संख्या में सुहागिन महिलाओं की उपस्थिति रहीं.
alt="" width="600" height="400" /> सुबह से ही व्रतधारी महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजधजकर वट (बरगद) वृक्ष के नीचे एकत्रित हुईं. उन्होंने निर्जल उपवास रखकर पूरे श्रद्धा-भाव से वट सावित्री की पूजा की. इस दौरान पुजारियों ने महिलाओं को वट सावित्री व्रत की कथा सुनाई. कथा के माध्यम से बताया गया कि सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और भक्ति के बल पर यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लिए थे. तभी से इस दिन को पति की दीर्घायु और सौभाग्य की कामना के रूप में मनाया जाता है. पूजा-अर्चना के बाद महिलाओं ने वट वृक्ष की परिक्रमा कर पवित्र डोर (सूत्र) बांधा और पति के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया. मान्यता है कि इस व्रत से पति की आयु में वृद्धि होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है. चक्रधरपुर के राजबाड़ी रोड स्थित रानी तालाब के पास, एसबीआई परिसर, चांदमारी स्थित हनुमान मंदिर, दो नंबर थाना क्षेत्र, पोर्टर-खोली, इतवारी बाजार, आरई कॉलोनी, रिटायर्ड कॉलोनी, लोको कॉलोनी आदि स्थानों पर वट वृक्षों के नीचे पूजा के लिए भारी संख्या में सुहागिन महिलाओं की उपस्थिति रहीं.
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