Search

'मर्यादा' किस चिड़िया का नाम है?

Srinivas किसी की निजी जिंदगी में झांकना, उसका सार्वजनिक चर्चा करना असभ्यता मानी जाती है और तमाम विकृतियों के बावजूद मुझे भारतीय राजनीति में लगभग मान्य यह परंपरा अच्छी और सकारात्मक लगती है कि तमाम दलों के नेता इसका खयाल करते आये हैं. अनेक बड़े और ‘सम्मानित’ नेताओं के विवाहेतर; या बिना व्याह के भी, संबंधों की जो बात दबी जुबान से होती रहती है; या कहें ‘जगजाहिर’ है, उनकी चर्चा भी कोई खुले मंच से नहीं करता. चुनावों के दौरान उसे मुद्दा नहीं बनाता है. जहां तक मुझे याद है, हाल के वर्षों में एक बार बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी देवी ने नीतीश कुमार के बारे में ऐसा कुछ कह दिया था. वह अभद्र और फूहड़ था; और किसी ने, उचित ही, उसे तूल भी नहीं दिया. वैसे `अमृतकाल` में इस परंपरा का भी तेजी से क्षरण हुआ है. इस चर्चा का एक ताजा प्रसंग है- राहुल गांधी की कथित चरित्रहीनता! मान लें कि राहुल गांधी की विदेश में कोई महिला मित्र है, जिससे वह मिलने जाते हैं, तो? यह कोई अपराध या `पाप` है? यह इतना बड़ा और महत्वपूर्ण मुद्दा है कि इसपर सोशल मीडिया पर चर्चा हो? या यह कोई डीमेरिट है, जिस आधार पर राहुल गांधी को राजनीति में अयोग्य ठहरा दिया जाये? या कि इस आधार पर भी उनकी संसद की सदस्यता जा सकती है? आखिर कौन लोग हैं, जो देश की राजधानी में एक ‘प्रतिष्ठित’ न्यूज चैनल के कार्यक्रम में इस बात में ‘रस’ ले रहे थे! बताने की जरूरत शायद नहीं है. ये वही लोग, उसी जमात के हैं, जो ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ माने गये ‘राम’ को आदर्श मानने का दावा (या ढोंग!) करते हैं. जिनको लगता था कि ‘त्रिलोक के स्वामी’ कहे जाने वाले ‘राम’ इतने कमजोर और लाचार हैं कि किसी विधर्मी आक्रांता ने उनका घर तोड़ दिया था; और करीब चार सौ वर्ष तक वे ‘बेघर’ रहे! उसी ‘राम के नाम’ पर इनकी राजनीति चलती है; लेकिन इनके लिए ‘मर्यादा’ की कोई ‘लक्ष्मण रेखा’ नहीं है! यही लोग हैं, जो प्रकट में तो गांधी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं, लेकिन इनका ही एक विंग दिन रात उनकी छवि धूमिल करने के अभियान में लगा रहता है. जवाहर लाल नेहरू का सम्मान करने का तो दिखावा करने की जरूरत भी नहीं है, इसलिए कि आजादी के बाद देश की ‘दुर्दशा’ के लिए नेहरू को दोष देना भी इनका एक शगल है, अपनी विफलता को ढंकने का एक बहाना भी. तो ऊपर से नीचे तक हर नेता और कार्यकर्ता नेहरू-निंदा अभियान में लिप्त रहता है. लेकिन अब कोई 48 वर्ष पहले मर चुके उसी नेहरू के परिवार की चौथी पीढ़ी के राहुल गांधी को परेशान कर रखा है! राहुल को ‘पप्पू’ साबित करने के लिए क्या नहीं किया. वह प्रोजेक्ट फेल हो गया और अब भी वही इनको अपनी राह का सबसे बड़ा रोड़ा लगता है. शायद इसी कारण यह नया फॉर्मूला खोजा गया है. या फिर यह `संस्कार` है, जिस कारण ऐसे लोगों को ऐसी फूहड़ चर्चा में `मजा` आता है. टोकने पर ये पूछ सकते हैं- `मर्यादा’ किस चिड़िया का नाम है? डिस्क्लेमर: लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और ये इनके निजी विचार हैं. [wpse_comments_template]

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp