Chaibasa: पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा के मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के टेकराहातु स्थित खदान के पास पुलिस ने शनिवार को एक शव बरामद किया. मृतक की पहचान मझगांव थाना क्षेत्र के गुड़गांव निवासी जयकिशन पिंगुवा के रूप में हुई है. युवक को गोली लगी हुई है. इससे पुलिस का अनुमान है कि बीती रात किसी ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी.
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जयकिशन को चार गोली मारी गई
अपराधियों ने जय किशन को चेहरे के अलावा शरीर के कई हिस्से में चार गोली मारी है. शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजन पैतृक गांव गुडगांव ले गए. मुफस्सिल थाना प्रभारी पवन चंद्र पाठक ने बताया कि मामले की छानबीन शुरू कर दी गई है. हत्या का कारण का पता नहीं चल सका है, लेकिन जो भी अपराधी है वह पकड़ा जाएगा.
ग्रामीण मुंडा की सूचना पर पहुंची पुलिस
जानकारी के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र के कुछ लोग जब सुबह टेकराहातू खदान के पास पहुंचे तो युवक का शव दिखा. जिसके बाद ग्रामीण मुंडा को सूचना दी गई. ग्रामीण मुंडा की सूचना पर मुफस्सिल थाना की पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और शव को बरामद कर सदर अस्पताल पोस्टमार्टम हाउस लाया. घटना के बाद स्थानीय लोगों में भय का माहौल बन गया है. ग्रामीणों ने कहा कि बीती रात को यह घटना हुई है. गांव से कुछ दूर में खदान है वहीं शव मिला है. पुलिस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच पड़ताल में जुट गई है. पुलिस ने मृतक के परिजनों को सूचना दी जिसके बाद परिजन सदर अस्पताल पहुंचे.
शुक्रवार की रात किसी दोस्त ने फोन कर बुलाया था
जय किशन पिंगुवा (27 वर्ष) मुफस्सिल थाना के गितिलिपी गांव में किराये के मकान में परिवार के साथ रहता था. पिंगुवा की पत्नी सरिता सवैया ने बताया कि शुक्रवार की रात करीब 8.30 बजे किसी दोस्त ने उनके पति को फोन कर बुलाया. देर रात तक घर नहीं आने पर उसने रात के लगभग 10.30 बजे पति को फोन किया तो रिंग हुआ, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया. कुछ देर बाद फिर फोन किया गया तो फोन बंद था. सरिता के अनुसार हर दिन रात में दोस्तों का फोन आने पर वह निकल जाते थे और कुछ देर बाद वापस आ जाते थे. शुक्रवार रात में गए तो वापस नहीं आए. शनिवार को सुबह में सूचना मिली कि जय किशन का शव सिंहपोखरिया और टेकराहातु के पास पड़ा है. वहां जाकर देखा तो खून से लथपथ शव पड़ा था. मृतक की पत्नी ने बताया कि जय किशन की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. अपने सिर्फ अपने छह साल के बच्चे को पढ़ाने के लिए गितिलिपी में रह रहे थे. वह कोई काम भी नहीं करते थे. खेती से ही परिवार चलता था.
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