महोत्सव मनाने और संगठन को सशक्त बनाने के लिए आदिवासी जन परिषद की शनिवार को करमटोली स्थित केंद्रीय कार्यालय में बैठक हुई. बैठक की अध्यक्षता प्रेमशाही मुंडा ने की और संचालन उपाध्यक्ष उमेश लोहरा ने किया. इस बैठक में सरहुल महोत्सव पर विशेष रूप से चर्चा की गई. बैठक को संबोधित करते हुए प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि सरहुल झारखंड का नैसर्गिक उत्सव है. हम कितने भी बलवान हो जाएं, प्रकृति से बड़े नहीं हो सकते. सरहुल सरई फूल, सरजोम और साखू फूलों का उत्सव है. यह आदिवासी समाज के लिए नए साल के आगमन का महोत्सव है. इसे भी पढ़ें : धनबाद">https://english.lagatar.in/elderly-killed-in-crossing-railway-track-near-mugma-station-in-dhanbad/45099/">धनबाद
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सरहुल पर कोरोना के गाइडलाइन पालन करने पर जोर
सरहुल के और भी मायने हैं. नये साल में नया कार्य शुरू करने का महापर्व है. विश्व में आदिवासी समाज के समान कोई भी समाज प्रकृति के इतने करीब नहीं है. आदिवासी समाज का अस्तित्व धर्म और जमीन से है. इसके बिना आदिवासी समाज नहीं कल्पना नहीं है. बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करते हुए अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि कोरोना महामारी से बढ़ते संक्रमण को देखते हुए आदिवासी जन परिषद सरहुल शोभायात्रा निकालने के पक्ष में नहीं है और न ही कोई शोभायात्रा में शामिल होंगे. आदिवासी जन परिषद आदिवासी विचारधारा का संगठन है. आदिवासी समाज अपने-अपने अखड़ा, सरना स्थल, जाहेर थान, देशवाली, चला टोका में पूजा-अनुष्ठान करेंगे.अपने-अपने अखड़ा, सरना स्थलों में ही पूजा करें
साथ ही उन्होंने संपूर्ण आदिवासी समाज से अपील की कि गांव कस्बों में अपने-अपने अखड़ा, सरना पूजा स्थलों में ही पूजा करें, इसकी मिसाल पेश करें. राजनीतिक रैली का उदाहरण देकर आदिवासी समाज को दिग्भ्रमित ना करें और दूरियां बनाकर संस्कृति कार्यक्रम करें. इस मौके पर सचिव अभय कुंवर, जय सिंह लुक्कड़, महिला मोर्चा की अध्यक्ष शांति सवैया, सोमदेव करमाली, उमेश लोहरा समेत अन्य लोग उपस्थित थे. https://english.lagatar.in/bishop-found-16-corona-positive-at-westcott-school-teachers-and-staff-among-the-infected/45123/https://english.lagatar.in/youth-shot-dead-in-gumla/45157/
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