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कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक, महाराष्ट्र-हरियाणा में हार पर मंथन, खड़गे ने आंतरिक कलह और ईवीएम पर ठीकरा फोड़ा

NewDelhi : कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज शुक्रवार को कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन पर मंथन किया. खड़गे ने पार्टी कार्यकर्ताओं से स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया. साथ ही हार का दोष आंतरिक कलह और ईवीएम पर मढ़ा. इससे पहले बैठक में खड़गे प्रियंका गांधी को वायनाड से और रवींद्र वसंतराव चव्हाण को नांदेड़ से लोक सभा में विजयी होने पबधाई देता हूं.

विधानसभा चुनावों में परिणाम अपेक्षा पर खरे नहीं उतरे

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कार्यसमिति की बैठक में याद दिलाया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अच्छी वापसी की. लेकिन इसके बाद हुए राज्य विधानसभा चुनावों में परिणाम अपेक्षा पर खरे नहीं उतरे. खड़गे का कहना था कि चुनावों में गति हमारे पक्ष में थी, लेकिन सिर्फ गति हमारे पक्ष में होना जीत की गारंटी नहीं है. कहा कि हमें माहौल को नतीजों में बदलना सीखना होगा. खड़गे ने पार्टी से आत्मनिरीक्षण करने का आग्रह करते हुए अपनी कमियों को पहचानने पर जोर दिया. बाद नें खड़गे ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर हार के प्रमुख बिंदुओं में अपनी बात रखी.

खड़गे ने पार्टी से आत्मनिरीक्षण करने का आग्रह किया 

खड़गे ने लिखा कि 2024 के लोक सभा चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस पार्टी ने नए जोश-खरोश के साथ वापसी की थी. लेकिन उसके बाद हुए, तीन राज्यों के चुनावी नतीजे पार्टी के उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे. खड़गे ने कहा, हमें चुनावी नतीजों से सबक लेते हुए संगठन के स्तर पर अपनी सभी कमजोरियों और खामियों को दुरुस्त करने की जरूरत है. मैं बार-बार कहता हूं कि आपसी एकता की कमी और एक दूसरे के ख़िलाफ़ बयानबाजी हमें काफी नुकसान पहुंचाती है. जब तक हम एक हो कर चुनाव नहीं लड़ेंगे, आपस में एक दूसरे के ख़िलाफ़ बयानबाजी का सिलसिला बंद नहीं करेंगे, तो अपने विरोधियों को राजनीतिक शिकस्त कैसे दे सकेंगे? इसलिए जरूरी है कि हम Strictly अनुशासन का पालन करें.

पार्टी के पास अनुशासन का भी हथियार है

हर हालत में एकजुट रहें. चेताते हुए कहा कि पार्टी के पास अनुशासन का भी हथियार है. लेकिन हम नहीं चाहते कि अपने साथियों को किसी बंधन में डालें. इसलिए सबको यह सोचना चाहिए कि कांग्रेस पार्टी की जीत में ही हम सबकी जीत है और हार में हम सबकी हार है. पार्टी की ताकत से ही हमारी ताकत है. खड़गे ने महाराष्ट्र –हरियाणा के संदर्भ में कहा, चुनावों में माहौल हमारे पक्ष में था. लेकिन केवल माहौल पक्ष में होना भर जीत की गारंटी नहीं. हमें माहौल को नतीजों में बदलना सीखना होगा. क्या कारण है कि हम माहौल का फ़ायदा नहीं उठा पाते? हम चुनाव भले ही हारे हों, पर इसमें कोई शक नहीं कि बेरोज़गारी, महंगाई, आर्थिक असमानता, इस देश के ज्वलंत मुद्दे हैं. जाति जनगणना भी आज का एक अहम मसला है. संविधान, सामाजिक न्याय और सौहार्द जैसे मसलों जन-जन के मुद्दे है.

EVM ने चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बना दिया है

खड़गे ने कहा. मैं मानता हूं कि EVM ने चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बना दिया है. चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है इसलिए इसे लेकर जितना कम कहा जाए उतना अच्छा. पर देश में Free और Fair चुनाव सुनिश्चित करवाना चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व है. बार-बार ये सवाल उठ रहे हैं कि किस हद तक ये दायित्व निभाया जा रहा है. सिर्फ़ 6 महीने पहले जिस तरह के नतीज़े लोकसभा में MVA के पक्ष में आये थे उसके बाद विधान सभा का नतीज़ा राजनीतिक पंडितों के भी समझ से परे है. जैसे परिणाम आये हैं कि कोई भी अंकगणित इसे justify करने में असमर्थ है. हमें सत्ता में बैठी विभाजनकारी ताकतों को हर हालत में हराना है. देश में तरक़्क़ी, अमन-चैन और भाई-चारा वापिस स्थापित करना है. क्योंकि हमने ये शानदार देश बनाया है. देश के करोड़ों लोग हमें शक्ति देने के लिए तैयार हैं. हमारा इंतज़ार कर रहे हैं. हम उन्हें निराश नहीं कर सकते.

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