बैठक की शुरुआत में आस्था किरण ने हथकरघा की सांस्कृतिक विरासत और महिला उद्यमियों की भूमिका पर बात की. उन्होंने कहा कि हथकरघा हमारी परंपरा ही नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता और स्थानीय रोजगार का मजबूत जरिया भी है.
इसके बाद हथकरघा का उत्सव विरासत और अवसर विषय पर चर्चा हुई, जिसमें महिलाओं द्वारा हथकरघा क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों और उनके अनुभवों को साझा किया गया. कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बुनते अवसर नामक इंटरएक्टिव सेशन रहा, जहां महिला उद्यमियों ने अपने पहने हुए हथकरघा वस्त्रों की कहानियां सुनाईं और स्थानीय बुनकरों से सहयोग को लेकर चर्चा की.
चैंबर अध्यक्ष परेश गट्टानी और महासचिव आदित्य मल्होत्रा ने कहा कि हथकरघा उत्पादों को देश और विदेश में पहचान दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने महिला उद्यमियों को हर स्तर पर सहयोग देने का आश्वासन भी दिया.
बैठक में स्थानीय से वैश्विक हथकरघा का पुनरुत्थान विषय पर समूह चर्चा भी हुई, जिसमें मार्केटिंग, डिज़ाइन, प्रशिक्षण और चैंबर की भूमिका जैसे विषयों पर विस्तार से बात हुई. कार्यक्रम का समापन कार्यकारिणी सदस्य मुकेश अग्रवाल के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ.
बैठक में कई प्रमुख सदस्य शामिल हुए, जिनमें चैंबर अध्यक्ष परेश गट्टानी, महासचिव आदित्य मल्होत्रा, सह सचिव नवजोत अलंग, कोषाध्यक्ष रोहित अग्रवाल और महिला उद्यमिता उप-समिति की सदस्यगण जैसे आस्था किरण, माला कुजूर, अनुराधा चौहान, अलीशा गौतम, पिया बर्मन, साहिनी रे, रेखा शरण, अनुप्रिया, संगीता सिन्हा आदि उपस्थित रहे.
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