Chhaya
Ranchi : झारखंड उर्जा उत्पादन निगम के साथ तेनुघाट विद्युत निगम का विलय होने वाला है. उर्जा विभाग की ओर से दोनों निगम प्रबंधनों को पत्र लिख सहमति जताने का अनुमोदन किया गया है. लेकिन टीवीएनएल के विलय के साथ ही राज्य सरकार पर लगभग 8599 करोड़ का बोझ बढ़ सकता है. उर्जा विभाग की ओर से दोनों निगमों को लिखे पत्र में इसकी जानकारी है. पत्र में टीवीएनएल के कुल बकाया रकम की जानकारी दी गयी है. जिसमें बताया गया है कि टीवीएनएल का जेबीवीएनएल पर बिजली खरीद का 4571.39 करोड़ रूपया बकाया है. वहीं सीसीएल से कोयला खरीद का 770 करोड़ रूपया बकाया है.
सरकार से टीवीएनएल ने 665.90 करोड़ रूपया लोन लिया था. वहीं ब्याज के साथ ये रकम 3258.42 करोड़ है. लोन में 2592 करोड़ का ब्याज है.
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जेबीवीएनएल को भुगतान से राहत
बिजली वितरण निगम के सूत्रों की मानें तो विलय से तेनूघाट निगम का सारा बकाया राज्य सरकार के ऊपर चला जायेगा. वहीं सालों से टीवीएनएल से जेबीवीएनएल का बिजली खरीद का 4571.39 करोड़ भी राज्य सरकार को देना होगा. बता दें कि जेबीवीएनएल का गठन 2015 में किया गया था. तब से निगम घाटा में है.
वर्तमान सरकार ने पदभार ग्रहण करते ही श्वेत पत्र जारी किया था. जिसमें जेबीवीएनएल का अलग-अलग उत्पादक कंपनियों का लगभग दस हजार करोड़ बकाया बताया था. वहीं भविष्य में जेबीवीएनएल की योजनाओं से सरकार को 7600 करोड़ के अतिरिक्त बोझ की बात की गयी थी. वर्तमान का जेबीवीएनएल का डीवीसी पर लगभग 4500 करोड़ का बकाया है.
सालाना बिलिंग कलेक्शन में 1200 करोड़ का नुकसान
बिजली वितरण को हर महीने 1200 से 1500 करोड़ रूपये का नुकसान राजस्व वसूली में होता है. राजस्व वसूली बिलिंग कलेक्शन से किया जाता है. हालांकि पिछले कुछ महीनों से बिजली वितरण को राजस्व वसूली में चार सौ करोड़ तक मिल जा रहे थे. लेकिन कोरोना के कारण फिर से राशि 200 करोड़ में पहुंच गयी. बिलिंग कलेक्शन नहीं होने से निगम का बिजली उत्पादक कंपनियों की देनदारी बढ़ती जा रही है.
सरकार देगी पैसा
कुछ सूत्रों से जानकारी हुई कि तेनुघाट निगम को मर्ज करने की प्रक्रिया पहले से रूकी थी. लेकिन इस विलय के पीछे जेबीवीएनएल का बढ़ता बकाया भी है. जेबीवीएनएल का डीवीसी, टीवीएनएल समेत कई बिजली उत्पादक कंपनियों का बकाया करोड़ों में है. ऐसे में इस मर्जर के बाद तेनुघाट निगम का बकाया राज्य सरकार वहन करेगी. वहीं जेबीवीएनएल को बिजली खरीद में भी फायदा होगा. क्योंकि इस सहमति के बाद टीवीएनएल से बिजली खरीदने के लिए बिजली वितरण निगम को किसी समझौते की जरूरत नहीं होगी. ऐसे में बिजली खरीद और दर तय की समस्या से मुक्ति मिलेगी.
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