अस्पताल कोल्हान प्रमंडल का सबसे बड़ा अस्पताल है. दो साल पहले बच्चों की मौत को लेकर इस अस्पताल की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हुई. लेकिन अब भी वहां की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है. बच्चों के लिये यह अस्पताल मौत का अस्पताल बनता जा रहा है. एमजीएम अस्पताल में जन्म लेने वाले या भर्ती होने वाले 30 प्रतिशत बच्चों की मौत हो जाती है. जबकि राष्ट्रीय औसत 10 प्रतिशत है. इसे लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्वास्थ्य">https://lagatar.in/palamu-a-fire-broke-out-in-the-house-burning-millions-worth-of-goods/36352/">स्वास्थ्य
विभाग के सचिव को पत्र लिखा है. आयोग ने सचिव से सात बिंदुओं पर जवाब मांगा है. इसे भी पढ़ें : 1">https://lagatar.in/insurance-premium-can-be-expensive-from-april-1-insurance-company-is-preparing/36406/">1
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MGM अस्पताल में सुविधाओं की कमी
पत्र में कहा गया है कि जांच के दौरान एमजीएम अस्पताल में सुविधाओं में बड़ी कमी सामने आयी है. यहां तक कि आइसीयू में रेडियंट वार्मर तक नहीं है. आइसीयू में मृत्यु का दर 30 प्रतिशत है. इसे 10 प्रतिशत होने चाहिये. एनआइसीयू के शिशु बहुत खराब हालात में आउटबोर्न में आते हैं. जिन्हें अस्पताल में रेफर किया जाता है. बच्चों की मृत्यु के बढ़ने का यह भी कारण है.आयोग ने इन सात बिंदुओं पर सचिव से जवाब मांगा है
- NICU व पे आइसीयू में स्टाफ नर्स, डॉक्टर सफाई कर्मचारी की भरती के लिये क्या कदम उठाये गये? - NICU व पे आइसीयू में नये रेडियंट वार्म्स कब तक आयेंगे? - शिशुओं के मृत्यु दर को घटाने के लिये क्या कदम उठाये गये ? क्या वर्तमान में मृत्यु दर औसत मृत्यु दर के अंतर्गत है? - सुझाव में उल्लेखित विशेष यूनिट की वर्तमान स्थिति क्या है? - क्या अस्पताल के किसी कर्मचारी के खिलाफ किसी प्रकार की कार्यवाही की गयी ? - जेएसआई का राशि प्राप्त करने के लिये क्या कदम उठाये गये ? इसे भी पढ़ें : जामताड़ा">https://lagatar.in/horrific-road-accident-in-jamtara-car-unrestrained-2-killed-3-injured/36304/">जामताड़ामें भीषण सड़क हादसा, कार अनियंत्रित होकर पलटी, 2 की मौत, 3 लोग घायल

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