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मीडिल क्लास- बजाओ ताली ! ना निवेश बचा, ना रोजगार

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style="color: #993300;">Surjit Singh
बड़े और ताजा तथ्य
  • रिजर्व बैंक के आंकड़े से पता चला भारत में विदेशी पूंजी निवेश में 96 प्रतिशत की कमी आयी है.
  • वर्ष 2024-25 में नेट एफडीआई सिर्फ 353 मिलियन डॉलर, यानी 2900 करोड़ रहा.
  • वर्ष 2007-08 में नेट एफडीआई 27 बिलियन डॉलर, यानी एक लाख करोड़ से अधिक था.
कुछ और तथ्य
  • नेशनल सैंपल सर्वे ने बताया कि देश में 15-29 साल के 13.8 प्रतिशत युवा बेरेजगार हैं.
  • शहरी युवकों में बेरोजगारी 17.2 प्रतिशत है.
  • शहरी महिलाओं में बेरोजगारी 23.7 प्रतिशत है.
  • ग्रामीण युवाओं में बेरोजगारी 14 प्रतिशत है.
हम कहां उलझे हैं?
  • ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- मेरे रगों में सिंदूर बह रहा है.
  • एमपी के मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया चौधरी को लेकर विवादित बयान दिया.
  • सांसद निशिकांत दुबे ने कहा -इंदिरा गांधी ने कच्छ की जमीन पाकिस्तान को दे दी.
  • तुर्की का बहिष्कार.
  • विपक्ष सवाल कर रहा कि ट्रंप क्यों हस्तक्षेप कर रहा.
सबसे खराब बात
  • टीवी चैनल, प्रिंट मीडिया, न्यूज पोर्टल्स, सोशल मीडिया में इन खबरों पर कोई चर्चा ही नहीं. चर्चा सिर्फ भाजपा-कांग्रेस नेताओं के बीच थुका-फजीहत की. जो बोल दिया, छाप दिया, दिखा दिया, चर्चा कर ली, बस हो गया. बयान सच है या झूठ यह तक नहीं पता करना. दरअसल, सत्ता, सरकार, नेता और मीडिया चाहता ही नहीं कि लोग सही चीजों को जानें. इसलिए फालतू की बातों में उलझा करके रखो.
तो क्या करें! बजाईये ताली! उलझे रहिए हिंदू-मुसलमान, भारत-पाकिस्तान, सत्ता पक्ष-विपक्ष, मोदी-राहुल, नेहरू-इंदिरा, चंद्रशेखर, भाजपा-कांग्रेस और ट्रंप के बयानों में. मग्न रहिए. युवा वर्ग ज्योति मल्होत्रा का रील देखने में मग्न है. रगों में राष्ट्रवाद व धर्म दौड़ा रहा है. कुछ लोगों के रगों में गर्म खून की जगह अब सिंदूर भी बहने लगा है. पर, हमारे हालात बदतर होते जा रहे हैं. खास कर मीडिल क्लास के. [caption id="attachment_1050984" align="aligncenter" width="272"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2025/05/Untitled-4-38-272x181.jpg"

alt="" width="272" height="181" /> आरबीआइ द्वारा जारी FDI का आंकड़ा.[/caption] तथ्य बताते हैं कि देश में युवाओं के लिए रोजगार नहीं है. क्यों नहीं है! सब जानते हैं. सरकारी नौकरी कम है. नौकरी निजी सेक्टर में ही ज्यादा है. इसमें कोई शक संदेह नहीं कि निजी सेक्टर के रोजगार से ही मीडिल क्लास को नौकरी मिलेगी, उन्नति होगी. लेकिन निजी सेक्टर सिकुड़ने लगा है. गिने-चुने हाथों में जाकर मोनोपोली बना रहा है. निजी पूंजी निवेश नहीं आ रहा. विदेशी निवेश जीडीपी का 2.50 प्रतिशत से कम होकर 0.07 प्रतिशत पर आ गया है. बाजार में घरेलू सामानों की बिक्री करने वाली नेस्ले से लेकर तमाम एफएमसीजी कंपनियां यह कह रही है कि भारत में खपत कम होती जा रही है, डिमांड नहीं है. क्योंकि लोगों के पास पैसे नहीं है. दरअसल, इन सबके पीछे मीडिल क्लास की बदहाली व तंगहाली है. मीडिल क्लास ही बाजार को चलाता है. अमीर लोगों की संख्या है ही कितनी. पर मीडिल क्लास का हाथ खाली है. पिछले 10 सालों में कमाई 10-20 प्रतिशत बढ़ी और महंगाई दोगुनी-तीन गुनी हो गई. फिर बाजार में डिमांड आयेगा कहां से. ऊपर से हर तरफ नफरत का शोर है. ऐसी स्थिति में निजी सेक्टर में निवेश को तो भूल ही जाईये. सरकार भी मस्त है. उनकी प्राथमिकता सूची में मीडिल क्लास है ही नहीं. गिनती के अमीरों को सुविधाएं दीजिये, छूट दीजिये और गरीब, जो संख्या के लिहाज से बहुसंख्यक हैं, उसे हर महीने अलग-अलग तरीके से कैश दीजिये, सरकार में बने रहने के लिए चुनाव में जीत की गारंटी है. बचा मीडिल क्लास. तो मीडिल क्लास बजाता रहे ताली.

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