Chandigarh : भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमान मिग-21 आज शुक्रवार 26 सितंबर को रिटायर हो गया. चंडीगढ़ में आयोजित भव्य समारोह में मिग-21 को विदाई दी गयी.
#WATCH | Chandigarh: Defence Minister Rajnath Singh says, "When it comes to the MiG-21, it is often said that the Indian Air Force was flying 60-year-old aircraft. I would like to take this opportunity to clarify an important fact. The MiG-21 aircraft that came to our armed… pic.twitter.com/2zk5jxezKn
— ANI (@ANI) September 26, 2025
#WATCH | Chandigarh | MiG-21s receive a water gun salute as they decommission after 63 years in service. pic.twitter.com/cPWLHBDdzs
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#WATCH | Chandigarh | BAe Hawk Mk132 aircraft of the Indian Air Force's Surya Kiran Acrobatics team perform manoeuvres during the decommissioning ceremony of the MiG-21 fighter aircraft fleet. pic.twitter.com/ZYewynf79D
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#WATCH | Chandigarh | All airborne MIG-21 aircraft execute their final operational landing simultaneously.
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MiG-21s were inducted into the Indian Air Force in 1963, and will be decommissioned today after 63 years of service. pic.twitter.com/uDnMXpG0Rr
अहम बात यह है कि यह विमान 62 साल से देश की रक्षा में लगा हुआ था. जानकारी के अनुसार आखिरी दो स्क्वाड्रन नंबर 23 (पैंथर्स) और नंबर 3 (कोब्रास) – में 28 की संख्या में मिग-21 बाइसन विमान शामिल थे.
इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मिग-21 को लेकर कहा जाता है कि भारतीय वायुसेना 60 साल पुराना विमान उड़ा रही थी, लेकिन बता दूं कि 1960-1970 के दशक में वायु सेना में शामिल हुए मिग-21 विमान बहुत पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
राजनाथ सिंह ने बताया कि अभीजो मिग-21 विमान उड़ाये जा रहे थे, वे ज़्यादा से ज़्यादा 40 साल पुराने थे. राजनाथ सिंह ने कहा कि विमानों के मानकों के हिसाब से 40 साल का जीवनकाल पूरी तरह से सामान्य है. . जिस मिग-21 को अभी हम देख रहे हैं, वे त्रिशूल, विक्रम, बादल और बाइसन जैसे नामों से भी जाने जाते हैं. इसके वर्तमान स्वरूप को अपडेट किया गया था.
रक्षा मंत्री ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड(HAL) की सराहना करते हुए कहा कि उसने अपने उन्नत रडार और एवियोनिक्स के साथ मिग-21 को निरंतर अपडेट करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 1963 में जब मिग-21 पहली बार हमारे साथ जुड़ा था, तब से लेकर आज तक का 60 वर्षों से अधिक का यह सफर अपने आप में बेमिसाल है.
हम सभी के लिए, यह केवल एक लड़ाकू विमान नहीं है, बल्कि एक परिवार का सदस्य है जिससे हमारा गहरा लगाव है. मिग-21 ने हमारे आत्मविश्वास को आकार दिया है, हमारी रणनीति को मजबूत किया है और वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाने में हमारी मदद की है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि इतने लंबे सफर में, इस लड़ाकू विमान ने हर चुनौती का सामना किया है और हर बार अपनी क्षमता साबित की है. 1971 के युद्ध की याद दिलाते हुए कहा कि इस युद्ध कौन भूल सकता है. पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान विपरीत परिस्थितियों में मिग-21 ने ढाका में गवर्नर हाउस पर हमला किया और उसी दिन उस युद्ध के परिणाम की रूपरेखा तैयार कर दी.
अपने लंबे इतिहास में ऐसे कई अवसर आये हैं जब मिग-21 ने अपनी निर्णायक क्षमता का परिचय दिया है. हर बार मिग-21 ने तिरंगे का सम्मान बढ़ाया है. इसलिए यह विदाई हमारी सामूहिक स्मृतियों की भी है, हमारे राष्ट्रीय गौरव की भी है और उस यात्रा की भी है जिसमें साहस, बलिदान और उत्कृष्टता की गाथा लिखी गयी है. मिग 21 महज एक विमान नहीं है, यह भारत-रूस संबंधों का प्रमाण है.
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