मोदी लहर के बावजूद अर्जुन मुंडा 1435 वोट से ही जीत सके, एक बार फिर खूंटी सबसे हॉट सीट
2004 के चुनाव में भाजपा के अभेद्य दुर्ग को भेद कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा ने कड़िया मुंडा को हराया था
यह क्षेत्र झारखंड के क्रांतिकारी नायक भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली के रूप में भी जाना जाता है
Pravin Kumar
Ranchi: झारखंड में खूंटी लोकसभा सीट सबसे हॉट सीट बन गई है. भाजपा ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा तो दोबारा चुनाव मैदान में उतारा है. इंडिया गठबंधन की ओर से झारखंड में अभी सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है, लेकिन पिछले चुनाव को देखते हुए यह माना जा रहा है कि खूंटी सीट से कांग्रेस उम्मीदवार ही अर्जुन मुंडा के सामने होंगे. खूंटी लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें है. इनमें से चार सीटें इंडिया गठबंधन के पास (खरसावां और तमाड़ झामुमो, सिमडेगा और कोलबिरा कांग्रेस) है. वहीं भाजपा के पास खूंटी और तोरपा विधानसभा सीट है. पिछली बार की तरह इस बार भी खूंटी में अर्जुन मुंडा को मजबूत चुनौती मिलने के कयास लगाये जा रहे हैं. 2019 में अर्जुन मुंडा और कांग्रेस के उम्मीदवार कालीचरण मुंडा के बीच जैसी चुनावी लड़ाई दिखी थी, उसे 2024 के चुनावी समीकरण में निश्चित तौर पर भाजपा के लिए चिंता का विषय कहा जा सकता है. भाजपा के इस अभेद्य दुर्ग को 2004 में कांग्रेस की महिला उम्मीदवार सुशीला केरकेट्टा (अब स्वर्गीय) ने भेदा था. उन्होंने पांच बार से लगातार जीत रहे कड़िया मुंडा को हराया था.
खूंटी लोकसभा क्षेत्र रहा है जनआंदोलनों का केंद्र
झारखंड का खूंटी जिला अक्सर सुर्खियों में रहता है. संयुक्त बिहार में इसे पहला अनुमंडल बनाया गया था. ब्रिटिश हुकूमत के समय इसी इलाके से पहली बार झारखंड राज्य की मांग उठी थी. मुंडा बहुल इस भू-भाग पर बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के विरुद्ध उलगुलान किया था. वर्ष 1890 से लगभग 10 वर्ष तक चले बिरसा आंदोलन का प्रमुख केंद्र खूंटी ही था. कोयल-कारो बांध का विरोध भी इसी इलाके में हुआ था. झारखंड गठन के बाद भी इलाके में जनआंदोलन होते रहे. मित्तल कंपनी के स्टील प्लांट और सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ हुए आंदोलनों के लिए भी जाना जाता है. इतना ही नहीं, इस लोस क्षेत्र ने दर्जनों हॉकी खिलाड़ी भी दिए हैं. मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की जनस्थली भी खूंटी ही रही है.
पिछले 10 लोस चुनाव के आंकड़े भाजपा के पक्ष में
1980 में झारखंड पार्टी से मिरल होरो बने थे सांसद
1980 में हुए लोकसभा चुनाव में झारखंड पार्टी से मिरल एनेम होरो ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. कड़िया मुंडा भारतीय लोकदल से चुनाव लड़े थे, लेकिन 25.7 फीसदी वोट ही उन्हें मिल पाया था.
1984 में कांग्रेस ने दर्ज की थी जीत
1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यहां से जीती थी. 39.4 % वोट कांग्रेस को मिले थे. यहां से साइमन तिग्गा ने जीत दर्ज की थी. जबकि निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मिरल एनेम होरो दूसरे स्थान पर रहे थे.उन्हें 26.1 % वोट मिले थे. वहीं भारतीय जनता पार्टी के कड़िया मुंडा को 17 % वोट मिले थे.
1989 से लगातार पांच बार जीते कड़िया मुंडा
1989 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की टिकट पर कड़िया मुंडा विजयी हुए. इसके बाद लगातार पांच बार यह सीट भाजपा के कब्जे में रही. कड़िया मुंडा इस सीट से सांसद बनते रहे. 1989 में कड़िया मुंडा को कुल 32.5% वोट मिले थे, जबकि झारखंड दल को 31.30 %, कांग्रेस को 27.7 % वोट मिले थे.
1991 में भी जीते कड़िया मुंडा
1991 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के क[]fया मुंडा ने खूंटी लोकसभा सीट पर कब्जा किया. इस बार के चुनाव में उन्हें 35.2 % वोट मिले. जबकि झारखंड पार्टी के निराला होरो को 22.8 % वोट मिले. वहीं कांग्रेस के साइमन तिग्गा को 20.5 % वोट मिले थे.
1996 में कड़िया ने लगाई हैट्रिक
1996 में हुए लोकसभा चुनाव में कड़िया मुंडा ने जीत की हैट्रिक लगाई. इस बार उन्हें 32.8% वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा को 25.7 %, वहीं झारखंड पार्टी को 14.3 % वोट मिले थे.
1998 में भी खूंटी लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा रहा और कड़िया मुंडा ने जीत दर्ज की. 1998 के लोकसभा चुनाव में कड़िया मुंडा को कुल 42.1 % वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा को 33.7 % और झारखंड मुक्ति मोर्चा को 13.3 % वोट मिले थे.
1999 में कड़िया ने फिर दर्ज की जीत
1999 में कड़िया मुंडा ने कुल 45.5% वोट के साथ जीत दर्ज की थी. जबकि कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा के खाते में 39.8 % वोट आया था.
2004 के चुनाव में भाजपा के अभेद्य दुर्ग को महिला उम्मीदवार ने भेदा
झारखंड बंटवारे से पहले हुए लगातार पांच चुनावों में इस सीट से भाजपा जीतती रही थी. लेकिन झारखंड अलग होने के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस की महिला उम्मीदवार ने जीत दर्ज कर भाजपा के अभेद्य दुर्ग को भेद दिया. 2004 में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा विजयी हुईं थीं. कांग्रेस को कुल 44.5 % वोट मिले थे, जबकि भाजपा को 34 % वोट मिले थे.
2009 में फिर जीते कड़िया मुंडा
2009 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने खूंटी लोकसभा सीट पर फिर से कब्जा कर लिया. मुंडा को 41.2 % वोट मिले. कांग्रेस ने 2009 के चुनाव में अपने उम्मीदवार को भी बदला था. सुशीला केरकट्टा की जगह नियेल तिर्की को मैदान में उतारा था. कांग्रेस को 25.5 %, जबकि झारखंड पार्टी को 16.5 % वोट मिले थे.
2014 में भाजपा को एनोस एक्का से मिली थी टक्कर
2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भाजपा ने फिर खूंटी सीट पर कब्जा जमा लिया. हालांकि इस बार भाजपा को कांग्रेस से नहीं, झापा उम्मीदवार एनोस एक्का से टक्कर मिली. भाजपा के कड़िया मुंडा को जहां 36.5 % वोट मिले थे, वहीं मोदी लहर के बावजूद झारखंड पार्टी के एनोस एक्का को 24.4 % मिले थे थे. कांग्रेस को 19.9% वोट मिले थे.
2019 में मात्र 1435 वोट से जीते थे अर्जुन मुंडा
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने खूंटी में बड़ा बदलाव करते हुए कड़िया मुंडा का टिकट काट कर अर्जुन मुंडा को चुनाव मैदान में उतारा था. इस बार कांग्रेस और भाजपा के बीच काफी कांटे की टक्कर हुई. भाजपा को 46 % वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 45.8 % वोट मिले थे. मोदी अर्जुन मुंडा इस चुनाव में मात्र 1435 वोट से जीत मिली थी.