Search

2018 वाली गलती!: RMC परिषद बैठक में मीडिया को नो-इंट्री के फैसले पर एक बार फिर मेयर की मौन सहमति

Ranchi :  मीडिया को समाज का चौथा स्तंभ माना जाता है. सच्चाई को देखने के लिए हर कोई इस स्तंभ का सहारा लेता है. लेकिन यह बात मेयर आशा लकड़ा की दृष्टि से शायद फिट नहीं बैठती है. वे तो मीडिया को अपने हिसाब से मैनेज करना चाहती हैं. जब सरकारी अधिकारी उनके बातों को तवज्जो नहीं देते हैं, तो मेयर मीडिया के मार्फत अपनी बातों को रखना चाहती हैं. जब स्थिति उनके अनुकूल हो जाती है, तो वह मीडियाकर्मियों को दरकिनार करने में भी पीछे नहीं रहती है. इसे भी पढ़ें- BREAKING:">https://lagatar.in/girl-commits-suicide-jumping-off-25-storey-building-ranchi-lalpur/">BREAKING:

रांची के लालपुर में 25 मंजिली इमारत से कूदकर युवती ने की आत्महत्या

2018 में तत्कालीन नगर आयुक्त ने भी लगायी थी रोक

मामला रांची नगर निगम परिषद की बैठक में मीडियाकर्मियों के शामिल होने या नहीं होने से जुड़ा है. सितंबर 2018 में रांची नगर निगम परिषद बैठक में मीडियाकर्मियों के शामिल होने पर तत्कालीन नगर आयुक्त मनोज कुमार ने रोक लगा दी थी. उस दौरान मेयर नगर आयुक्त के फैसले पर चुप रहकर अपनी मौन सहमति दी थी. ठीक तीन साल बाद मेयर ने मीडियाकर्मियों के लगे बैन को गलत फैसले भी बताया था. आज जब फिर से नगर आयुक्त मुकेश कुमार ने मीडियाकर्मियों के निगम परिषद में शामिल होने पर रोक लगायी, तो मेयर चुप होकर अपनी मौन सहमति दे दी. वह भी तब, जब उन्होंने ही पिछले 27 सितंबर को अपनी बातों को मनवाने के लिए मीडियाकर्मियों के शामिल होने को लेकर नगर आयुक्त को पत्र लिखा था. इसे भी पढ़ें- CM">https://lagatar.in/cm-instructions-october-15-give-benefit-housing-scheme-all-the-needy-develop-forced-tribal-sisters/">CM

का निर्देश: 15 अक्टूबर तक सभी जरूरतमंदों को दें आवास योजना का लाभ, मजबूर आदिवासी बहनों का करें विकास

विवादों में फैसले

सभी जानते हैं कि हेमंत सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही आशा लकड़ा निगम को लेकर राज्य सरकार और नगर विकास विभाग के हर फैसले पर सवाल उठाती रही है. सवाल उठाने का असर यह हुआ कि निगम के अधिकारी मेयर के खिलाफ हो गये. शायद ही कोई अधिकारी मेयर के बुलाये किसी बैठक में शामिल हो रहे थे. निगम अधिकारियों का आरोप है कि पिछले दिनों मेयर ने अधिकारियों को “औरंगजेब का पिल्ला”, “मोटी चमड़े वाले” शब्दों से कहकर अपमानित किया. इससे सभी अधिकारी मेयर के खिलाफ हो गये. कोई भी मेयर की बातों को नहीं सुन रहा था. संघर्ष का असर यह हुआ कि मेयर ने फिर से मीडिया का सहारा लिया. बीते 27 सितंबर को मेयर ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर निगम परिषद में शामिल होने की अनुमति मांगी. 27 सितंबर को जब परिषद में हंगामा और धरना प्रदर्शन हुआ, तो इसे मीडियाकर्मियों को कवरेज भी करने दिया गया. आज जब गुरुवार को मीडियाकर्मियों को बैठक से बाहर जाने की बात नगर आयुक्त ने की, तो मेयर ने चुप होकर अपनी मौन सहमति दे दी. [wpse_comments_template]

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp