संवाददाता
Ranchi: मिथिला की पवित्र संस्कृति और पारंपरिक आस्था से जुड़ा मधुश्रावणी पर्व 15 जुलाई पंचमी से आरंभ हो चुका है, जो 27 जुलाई तक चलेगी. यह पर्व तृतीया तिथि पर टेमी विधि के साथ संपन्न होगा. यह विशेषकर नव विवाहिताओं के लिए होता है, जो अपने वैवाहिक जीवन की मंगलकामना करती हैं. अपने पति की दीर्घायु के लिए श्रद्धा भाव से पर्व को मनाते है.
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13 दिन तक नवविवाहिता करती हैं निष्ठापूर्वक सात्विक जीवन पालन
झारखंड मिथिला मंच जानकी प्रकोष्ठ की महासचिव निशा झा ने बताया कि नवविवाहिताएं इस पर्व के दौरान बिषहरा, माता गौरी और भगवान भोलेनाथ की विधिवत पूजा करती हैं. वे पूरे 13 दिन व्रतव्रति रहती है. बिना नमक वाला सात्विक भोजन करती हैं.
प्रत्येक संध्या सहेलियों संग बगिया में होती है पूजा
नवविवाहिताएं प्रतिदिन संध्या समय अपने सहेलियों के संग बागीचे में जाकर फूल लोढ़ी (फूल संग्रह) करती हैं, और फिर उसी बासी फूल से पूजा करती हैं, यह परंपरा आध्यात्मिकता जोड़े रखती है.
मायके में होती है पूजा, ससुराल से आता है भार
यह पर्व नवविवाहिताएं अपने मायके में करती हैं, किंतु पूजन-सामग्री से लेकर वस्त्र एवं अन्य आवश्यक वस्तुएं ससुराल से ही भेजी जाती हैं, जिसे भार कहा जाता है. यह पर्व की विशिष्ट परंपरा औऱ पहचान होती है, जो ससुराल और मायके के रिश्तों को मजबूत बनाती है.
द्वारिकापुरी, चुटिया स्थित आवास में हो रही विधिवत पूजा
द्वारिकापुरी, चुटिया निवासी रामशंकर चौधरी की पुत्रवधू श्रेया चौधरी अपने आवास पर पूरे श्रद्धा भाव से मधुश्रावणी पर्व मना रही हैं. पूजा विधि में स्थानीय रीति-रिवाज से पालन होता है.
हरमू में झारखंड मिथिला मंच के द्वारा होगा भव्य कार्यक्रम
झारखंड मिथिला मंच जानकी प्रकोष्ठ के तत्वावधान में 20 जुलाई को दोपहर 2 बजे से हरमू में मधुश्रावणी महोत्सव का आयोजन होना है. इसमें शहर की सैकड़ों नवविवाहिता महिलाएं शामिल होंगी. कार्यक्रम में अपनी-अपनी पारंपरिक रूप से सजी हुई डालाओं के साथ शामिल होंगी.
सभी प्रतिभागियों को मिलेगा पुरस्कार
महोत्सव के दौरान डाला सज्जा प्रतियोगिता का आयोजन होगा. जिसमें भाग लेने वाली नवविवाहिताओं को झारखंड मिथिला मंच की ओर से उपहार दिया जाएगा. पारंपरिक विरासत को संजोने का काम करेगी. सामाजिक समरसता मजबूत होगी.