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विधायक बंधु तिर्की की विधानसभा सदस्यता खत्म, स्पीकर ने दी मंजूरी

Ranchi : विधायक बंधु तिर्की की विधानसभा की सद्स्यता खत्म हो गई है. स्पीकर रविंद्रनाथ महतो ने शुक्रवार को उनकी सद्स्यता खत्म करने की मंजूरी दे दी है. विधानसभा के प्रभारी सचिव जावेद हैदर ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. बंधु तिर्की की विधानसभा की सदस्यता 28 मार्च के प्रभाव से समाप्त की गई है. अब तिर्की की विधायकी खत्म करने से संबंधित सूचना चुनाव आयोग को भेज दी गयी है. जल्द ही चुनाव आयोग मांडर में उपचुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करेगा. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2022/04/ff1-2.jpg"

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गुरुवार को अयोग्यता के लिए अधिसूचना जारी करने की दी थी सहमति

इससे पहले गुरुवार को स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने बंधु तिर्की की अयोग्यता के लिए अधिसूचना जारी करने की अपनी सहमति दी थी. सीबीआई ने विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय को कोर्ट के फैसले की प्रति भेजी थी. यह मामला गुरुवार को अध्यक्ष के सामने रखा गया था, जहां उन्होंने अपने कार्यालय को कोर्ट के फैसले और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के आलोक में प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया.

बंधु को तीन साल की हो चुकी है सजा

गौरतलब है कि 28 मार्च को विशेष न्यायिक आयुक्त और सीबीआई प्रभात कुमार शर्मा की अदालत ने बंधु तिर्की को तीन साल की जेल और तीन लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने उन्हें आईपीसी की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी पाया है. अदालत ने कहा कि बंधु तिर्की ने संपत्ति जुटाने के लिए मधु कोड़ा के नेतृत्व वाली सरकार में विधायक और मंत्री के रूप में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया. कानून के मुताबिक, अगर किसी जनप्रतिनिधि को कम से कम दो साल की कैद की सजा दी जाती है, तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाती है. सद्स्यता खत्म होते ही बंधु तिर्की को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित हो गये हैं. वे रिहाई के 6 साल बाद तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.

आय से अधिक 7.22 लाख रुपये रखने के दोषी साबित हुए हैं बंधु

सीबीआई ने उनके खिलाफ 7.22 लाख रुपये की आय से अधिक संपत्ति रखने का मामला RC5 (A)/2010 दर्ज किया था. सुनवाई के दौरान सीबीआई ने 21 गवाह पेश किए, जबकि बंधु तिर्की ने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए आठ गवाह पेश किए. गौरतलब है कि 2008 में याचिकाकर्ता दुर्गा उरांव ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और उनके कैबिनेट मंत्रियों की संपत्ति की जांच के लिए झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट के फैसले के बाद सीबीआई ने विजिलेंस ब्यूरो से जांच अपने हाथ में ली. इसने 2010 में कोड़ा और उनके मंत्रियों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे. इसे भी पढ़ें – आम्रपाली">https://lagatar.in/amrapali-project-pmo-grievance-cell-took-cognizance-of-sita-sorens-complaint-in-illegal-transportation-of-coal/">आम्रपाली

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