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कुपोषण को मात देने के लिए मोबाइल वैन सेवा को मिलेगी गति

Ranchi :  चतरा जिले से ‘मोबाइल मालन्यूट्रिशन ट्रीटमेंट’  वैन 2020 में शुरू की गई थी. यह पहल संभवत: झारखंड में कुपोषण से लड़ने के लिए अपनी तरह की पहली योजना है. सरकार के लिए यह चुनौती थी कि सबसे दूरस्थ क्षेत्र में कुपोषण उपचार केंद्र की सेवा प्रदान की जाए. कुपोषण के सर्वाधिक मामलों से जूझ रहे चतरा जिले के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं,  जहां बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं. वैन का ट्रायल सफल हो रहा है. धीरे-धीरे वैन की संख्या बढ़ाने की योजना है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड को कुपोषण मुक्त राज्य बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध हैं. स्वस्थ बच्चों के बिना कोई समाज समृद्ध नहीं हो सकता. हमारी बहनों और बच्चों की थालियों में पोषक तत्वों से भरपूर भोजन सुनिश्चित करने के लिए दीदी बाड़ी योजना शुरू की गई है. इसके अलावा अन्य आवश्यक कदम भी उठाए जा रहे हैं. इसे भी पढ़ें : कोडरमा:">https://lagatar.in/koderma-deputy-commissioner-reviewed-agricultural-plans-gave-instructions/26959/">कोडरमा:

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2022 तक 10 से 15 फीसदी कम करने का लक्ष्य

सरकार ने वर्ष 2022 तक कुपोषण की समस्या को दूर करने और इसकी संख्या में 10 से 15% तक कमी दर्ज करने का लक्ष्य रखा है. राज्य के सभी जिलों में कुपोषण उपचार केंद्र पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं. मोबाइल कुपोषण उपचार वैन एक अस्थायी सेटअप के रूप में सेवा दे रहा है. मोबाइल कुपोषण वैन से उपचार का प्रतिशत तीन गुना बढ़ रहा है. वैन के एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा के लिए जिला प्रशासन द्वारा रूट चार्ट बनाया गया है. 15- दिवसीय शिविर समाप्त करने के बाद वैन एक अलग स्थान पर चली जाती है. शुरुआती दिनों में शिविर कुपोषण के बहुत गंभीर मामलों वाले क्षेत्रों में लगाया जा रहा है.

मोबाइल वैन बुनियादी सुविधाओं से लैस है 

https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/02/Malnutrition12.jpg"

alt="" width="226" height="400" />वैन को सभी सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है. वैन में खाना पकाने की जरूरत के समान यथा स्टोव, पैंट्री आइटम आदि वजन मापने की मशीन, स्टैडोमीटर, एमयूएसी,  ग्रोथ चार्ट और अन्य चिकित्सा जांच उपकरण स्थापित किए गए हैं. डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट के फंड से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस पहल के लिए वर्तमान में एक वाहन का उपयोग किया जा रहा है. इसकी सफलता के बाद वैन की संख्या बढ़ाने की योजना है.

ऐसे होती है जांच सुनिश्चित

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और पोषण सखी संबंधित शिविर क्षेत्र की एएनएम और सहिया से यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रभावित क्षेत्र में सामुदायिक जुटान, पांच वर्ष से कम आयु के प्रत्येक बच्चे का शिविर में निबंधन और स्क्रीनिंग में उनकी भागीदारी सुनिश्चित हो. इसके अतिरिक्त प्रखंड स्तर पर महिला पर्यवेक्षक नियमित अंतराल पर शिविर का दौरा करतीं हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि स्क्रीनिंग क्रमबद्ध तरीके से की जा रही है. स्क्रीनिंग के पहले दिन संबंधित प्रखंड के चिकित्सक शिविर स्थल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं. इसे भी पढ़ें : सीआरपीएफ">https://lagatar.in/crpf-ig-gives-mantra-to-accelerate-naxalite-campaign/26963/">सीआरपीएफ

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