सांठगांठः मोदी सरकार ने टीआरपी व ठेके दिये, अर्नब व रिपब्लिक ने उग्र व कट्टर राष्ट्रवाद वाले कंटेंट
Girirsh Malviya इससे ज्यादा क्या सुबूत चाहिए कि मोदी सरकार और रिपब्लिक चैनल में गहरी सांठगांठ है. और टीआरपी घोटाले में मोदी सरकार का वरदहस्त अर्नब गोस्वामी पर था. खबर है कि रिपब्लिक टीवी को प्रसार भारती के स्वामित्व वाले डायरेक्ट-टू-होम सेवा, डीडी फ्रीडिश पर गैर कानूनी रूप से प्रसारित किया गया है. रिपब्लिक टीवी ने बिना ऑक्शन प्रोसेस में शामिल हुए डीडी फ्री डिश सर्विस के सभी यूजर्स के लिए एक बैंडविड्थ पर एक एन्क्रिप्टेड रूप में दो वर्षों तक ब्रॉडकास्ट किया गया. जबकि ऑक्शन के प्रोसेस से गुजरने पर चैनल को सालाना 8-12 करोड़ रुपये की कैरिज फीस देनी होती है. इस मामले में रिपब्लिक टीवी ने अनुचित रूप से फायदा उठाने के साथ ही सरकारी खजाने को भी नुकसान पहुंचाया. प्रतियोगी चैनलों की तरफ से इस बात को दो साल पहले ही सूचना और प्रसारण मंत्रालय के ध्यान में लाया गया था. साथ ही इसकी शिकायत प्रसार भारती को भेज दी गयी थी. लेकिन यह प्रैक्टिस सितंबर 2019 तक जारी रही. इस पूरे घोटाले में सरकारी खजाने को 25 करोड़ रुपये का नुकसान सामने आया है. अब इतनी मेहरबानी रिपब्लिक चैनल पर क्यों की गई. इसकी वजह भी जान लीजिए. यह चैनल मूल रूप से राजीव चंद्रशेखर ने शुरू किया था. वह वर्तमान में भाजपा के राज्यसभा सांसद हैं. राजीव चंद्रशेखर जब भाजपा से वर्ष 2018 में सांसद चुन लिए गए तो उन्होंने कहाः ‘` वर्ष 2006 से मैं निर्दलीय सांसद के रूप में सार्वजनिक जीवन में था. चूंकि अब मैं भाजपा का सदस्यज हूं तो मुझे लगता है कि यह रिपब्लिक टीवी के ब्रांड और टीम के लिए सही नहीं होगा कि मैं बोर्ड में रहूं.’` इसके बाद ही रिपब्लिक भारत में सारी हिस्सेदारी अर्नब गोस्वामी को दे दी गई. दरअसल, रिपब्लिक के मुख्य निवेशकर्ता राजीव चन्द्रशेखर पहली बार 2006 में कर्नाटक से राज्यसभा के लिए चुने गए. चन्द्रशेखर की एशियानेट न्यूज नेटवर्क, स्वर्णा न्यूज और कन्नड़ अखबार प्रभा में अच्छी होर्डिंग्स है. दिलचस्प बात यह है कि राजीव चन्द्रशेखर ने जुपिटर केपिटल में भारी निवेश कर रखा है, जो कि डिफेंस सेक्टर की प्रमुख कंपनी है. यह कंपनी भारतीय सेनाओं को ट्रेनिंग के अनेक उपकरण सप्लाई करती है. जुपिटर केपिटल को ही पिछले वर्ष भारतीय थल सेना और वायु सेना में ट्रेनिंग के उपकरणों का एक बड़ा ठेका मिला था. वैसे चैनल जब शुरू हुआ, तो राजीव चंद्रशेखर की कंपनी जुपिटर कैपिटल के CEO अमित गुप्ता ने एडिटोरियल को मेल लिखा कि कंटेंट "प्रो मिलिट्री" होना चाहिए. अब आप समझ गये होंगे कि अर्नब ने पुलवामा हमले के बाद अपनी चैट में यह बात क्यों लिखा कि "This Attack We Won Like Crazy” जुपिटर केपिटल को मिलिट्री के ठेके चाहिए और बीजेपी को रिपब्लिक से उग्र कट्टर राष्ट्रवाद और दक्षिणपंथी विचारधारा वाला कंटेंट. दोनों एक-दूसरे की पूर्ति कर रहे हैं. इसके लिए ही रिपब्लिक चैनल की टीआरपी बढ़ाने की मोदी सरकार ने हर संभव प्रयास किया. चाहे सरकारी खजाने का कितना ही नुकसान क्यों न पहुंचे. डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.

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