New Delhi : कांग्रेस ने देश में बेरोजगारी की गंभीर समस्या को लेकर केंद्र सरकार पर हल्ला बोला. आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने युवाओं के सपनों को कुचल दिया है जिसके कारण युवाओं में आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने गुरुवार को दावा किया कि सरकार की विनाशकारी आर्थिक नीतियों और बिना किसी योजना के लगाये गये लॉकडाउन ने वास्तव में शिक्षित युवाओं के लिए औपचारिक रोजगार के अवसरों को कम कर दिया है.
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दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनल पर अपनी बातचीत के दौरान @rahulgandhi ने देखा कि बड़ी संख्या में शिक्षित युवा, जिनमें इंजीनियरिंग डिग्री वाले भी शामिल हैं, औपचारिक रोज़गार पाने में असमर्थ हैं। वे मजबूरी में कुली जैसा अनिश्चित और अनौपचारिक रोज़गार कर रहे हैं।
अप्रैल 2023 के NSSO डेटा… pic.twitter.com/s6GoIOp1c2
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 28, 2023
भारत में बेरोजगारी गंभीर समस्या बनी हुई है
उन्होंने एक बयान में कहा, भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बनी हुई है. छिपी बेरोजगारी की स्थिति भी चिंताजनक है. दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनल पर अपनी बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने देखा कि बड़ी संख्या में शिक्षित युवा, जिनमें इंजीनियरिंग की डिग्री वाले भी शामिल हैं, संगठित क्षेत्र में रोजगार पाने में असमर्थ हैं. वे मजबूरी में कुली जैसा अनिश्चित और अनौपचारिक रोजगार कर रहे हैं. रमेश ने आरोप लगाया कि संगठित क्षेत्र में पर्याप्त रोजगार उपलब्ध कराने में मोदी सरकार की घोर विफलता के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है. उनके अनुसार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के 2021-22 के आंकड़ों से पता चलता है कि औपचारिक क्षेत्र में रोजगार 2019-20 की तुलना में 5.3 प्रतिशत कम हुए हैं.
मोदी सरकार रोजगार संकट से निपटने के बजाय आंकड़ों को छिपा रही है
इसके अलावा 2019-20 से 2021-22 तक औपचारिक क्षेत्र में रोज़गार देने वालों की संख्या में भी 10.5 प्रतिशत की भारी गिरावट आयी है. उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार रोजगार संकट से निपटने के बजाय आंकड़ों को छिपाने, तोड़-मरोड़ कर पेश करने और तरह-तरह की नौटंकी करने में व्यस्त है. रमेश ने आरोप लगाया, मोदी सरकार ने भारत के युवाओं के सपनों और आकांक्षाओं को इस हद तक कुचल दिया है कि उनके पास नौकरी तो है ही नहीं, उन्होंने भविष्य में भी इसकी उम्मीद छोड़ दी है. वे इस हद तक हताश हैं कि शिक्षा या प्रशिक्षण में निवेश करना ही नहीं चाहते.
युवा आत्महत्या दर 2016 के बाद से तेजी से बढ़ रही है
इसका दुखद परिणाम यह है कि युवा आत्महत्या दर (30 वर्ष से कम आयु) 2016 के बाद से तेजी से बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि जनसांख्यिकीय लाभांश के जनसांख्यिकीय आपदा में बदलने के संकट से निपटने के बजाय यदि मोदी सरकार अगला कदम युवाओं में आत्महत्या दर को छिपाने के लिए 2022 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों में हेरफेर करने का उठाये तो हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए.