Ranchi : झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का संबोधन काफी भावुक रहा. कहा यह सत्र काफी भावुक क्षणों के बीच समाप्त हो रहा है. चार अगस्त को दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन हुआ. इस वजह से चलते सत्र को बंद करना पड़ा.
फिर से उस काम को संपन्न किया गया. यह मॉनसून सत्र काफी महत्वपूर्ण और न भूलने वाला सत्र होगा।इस दौरान ऐसे व्यक्ति को खोया जो न सिर्फ विधायक, सांसद मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री ही नहीं उससे उपर उठकर आदिवासी, दलित, पिछड़े गरीब-गुरबों, शोषित ते बीच ऐसे व्यक्तित्व रहे हैं जो झारखंड ही नहीं देश के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं. उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर आगे बढ़ेंगे. उनके बारे में जितना कहा जाए कम होगा.
झारखंड आंदोलन को मुकाम तक पहुंचाना आसान काम नहीं था
सीएम ने कहा कि झारखंड आंदोलन को मुकाम तक पहुंचाना आसान काम नहीं था. इसके साथ ही कई राज्यों का सॉजन हुआ. मुझे नहीं लगता कि अपने अधिकार के लिए इतना संघर्ष कहीं देखने को मिला हो.
दस से 12 दिनों तक गुरूजी को श्रद्धांजलि देने के लिए देश के कोने-कोने के अलावा देश के बाहर से भी लोग आए. तेलंगाना के सीएम ने कहा कि झारखंड अलग हुआ तो तेलंगाना अलग राज्य की मांग हुई. गुरूजी ने वहां के लोगों का मार्गदर्शन किया. गुरुजी के कार्य झारखंड तक ही नहीं देशव्यापी रहे हैं.
अनुपूरक संवैधानिक व्यवस्था के तहत लाया जाता है
सीएम ने कहा कि मॉनसून सत्र में अनुपूरक बजट लाया गया. विपक्ष का अपना विरोध रहा. अनुपूरक राजनीतिक रणनीति के तहत नहीं बल्कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत लाया जाता है. पिछले पांच साल सरकार चला था. पांच साल बाद राज्य की जनता ने पुनः बड़े मतों से राज्य की बागडोर सौंपी. विपक्ष का अपना उद्देश्य है. उनका अपना राजनीतिक विचार है. सरकार को घेरने का प्रयास करती है.
विपक्ष पर साधा निशाना
सीएम ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि मुझे विपक्ष के साथियों की चिंता होती है. विपक्ष का राजनीतिक हितों को साधने का उद्देश्य रहा है. वे मुद्दा विहिन होकतर सड़कों पर होते हैं.
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