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बड़कागांव में फैक्ट्री बंद होने से 200 से अधिक महिलाएं हुईं बेरोजगार

  • एनटीपीसी की आउटसोर्सिंग कंपनी त्रिवेणी सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड में करती थीं काम
  • बड़कागांव के पकरी बरवाडीह स्थित टेक्सटाइल फैक्ट्री में मिला था रोजगार
Hazaribagh : बड़कागांव की कोल माइंस पकरी बरवाडीह परियोजना एनटीपीसी के अधीनस्थ काम करने वाली कंपनी त्रिवेणी सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने 200 से अधिक महिलाओं को बेरोजगार कर दिया है. ये वही महिलाएं हैं, जो कोल उत्खनन के कारण विस्थापित हुई थीं. कंपनी ने 200 से अधिक महिलाओं को यह आश्वासन दिया था कि उनकी जमीन अधिग्रहित कर ली जाएगी और उसके एवज में पैसे के अलावा रोजगार भी दिया जाएगा. ऐसे में परिवार के लोगों ने कंपनी को जमीन दे दी. वर्ष 2016 से त्रिवेणी सैनिक कंपनी ने सीएसआर के तहत बड़कागांव के पकरी बरवाडीह में टेक्सटाइल फैक्ट्री लगाई थी. लेकिन अब कंपनी की ओर से महिलाओं को कह दिया गया कि फैक्ट्री बंद कर दी गई है. अब आने की आवश्यकता नहीं है. ऐसे में महिलाएं खुद को ठगा महसूस कर रही हैं.

डीसी को ज्ञापन सौंप महिलाओं ने बयां की पीड़ा 

बेरोजगार होने के बाद 200 महिलाओं ने शुक्रवार को डीसी नैंसी सहाय को ज्ञापन सौंपकर अपनी बातें साझा कीं. महिलाओं ने ज्ञापन के जरिए बताया कि त्रिवेणी अप्रैल्स टेक्सटाइल्स प्राइवेट लिमिटेड तहत के तहत 220 महिलाएं काम कर रही हैं. तीन माह से मानदेय बढ़ाने की मांग की जा रही थी. कंपनी आश्वासन दे रही थी कि वेतन बढ़ोतरी होगी. अचानक पिछले साल 17 अक्तूबर को कंपनी के पदाधिकारी ने ऐलान कर दिया कि फैक्ट्री घाटे के कारण बंद कर दी जा रही है. महिलाओं ने डीसी से यह गुहार लगाई है कि उन्हें बेरोजगार कर दिया गया है. इससे अब उन्हें परेशानी हो सकती. जो बच्चे स्कूल जाते हैं, उनका फीस नहीं दे पाएंगे. यहां तक कि खाने-पीने की भी समस्या हो सकती है. इसे देखते हुए समस्या का समाधान किया जाए.

जमीन लेते वक्त कंपनी ने दिए थे कई तरह के आश्वासन

कई विधवा महिलाओं में शामिल मुस्तरे खातून का कहना है कि जमीन लेने के समय कई आश्वासन दिया गया. लेकिन आज उन लोगों को बेरोजगार कर दिया गया है. दो बच्चे हैं. उनका लालन-पालन कमाई के पैसे से ही होता था. लेकिन अब समस्या आने जा रही है, कैसे बच्चों को पढ़ाएंगे. यहां तक कि खाने की भी समस्या हो सकती है. वहीं माला मिश्रा की 30 एकड़ जमीन कोयला उत्खनन के लिए अधिग्रहण की गई थी. वह भी टेक्सटाइल्स कंपनी में काम करती थीं. उन्हें भी अब बेरोजगार कर दिया गया है. उनका कहना है कि 15 हजार रुपए वेतन दिया जाता था. पिछले तीन वर्षों से वेतन बढ़ाने की मांग की जा रही थी. वेतन बढ़ाने के नाम पर आश्वासन दिया गया और आज कंपनी ही बंद कर दी गई.

महिलाओं ने 26 जून को दिया था धरना

महिलाओं का कहना है कि अपनी मांग को लेकर 26 जून को एक दिन का धरना भी दिया गया था. पदाधिकारी ने आश्वासन देकर धरना समाप्त करा दिया था और इसके बाद उन लोगों से वार्ता भी चल रही थी. लेकिन वार्ता का नतीजा कुछ भी नहीं आया. अब फैक्ट्री ही बंद कर दी गई. उनका यह भी कहना है कि कंपनी ने 51 महिलाओं का वेतन बढ़ा दिया और भ्रम की स्थिति पैदा कर दी कि सभी का वेतन बढ़ाया जाएगा. लेकिन कंपनी ने अन्य महिलाओं का वेतन नहीं बढ़ाया, जिस कारण आपस में ही मतभेद हो गया. उपायुक्त से मिलने के बाद महिलाओं ने जानकारी दी कि आश्वासन दिया गया है कि कंपनी से वार्ता कर कोशिश की जाएगी की फैक्ट्री बंद नहीं हो. इसे भी पढ़ें : RJD">https://lagatar.in/sc-shocks-former-rjd-mp-prabhunath-singh-convicted-in-28-year-old-double-murder-case/">RJD

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