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झारखंड में बिना परमिट के दौड़ रही हैं 700 से ज्यादा बसें

  • 2019 के बाद अबतक नहीं हुई स्टेट और रिजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की बैठक
Ranchi :  झारखंड में 700 से ज्यादा बसें बिना परमिट के सड़कों पर दौड़ रही है. 2 साल से स्टेट और रिजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की बैठक नहीं होने के कारण इन बसों को परमिट नहीं मिल पा रही है. और इस वजह से सालाना करीब 63 लाख रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है. इस बात को परिवहन विभाग ने स्वीकार किया है. परिवहन विभाग का कहना है कि सदस्यों के मनोनयन की प्रक्रिया का काम चल रही है, लेकिन कब तक सद्स्यों का मनोनयन होगा और ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की बैठक कर 700 बसों को परमिट दिया जायेगा, विभाग ने इसकी कोई समय सीमा तय नहीं की है.

बिना परमिटवाली बस के दुर्घटनाग्रस्त होने पर नहीं मिलता बीमा का लाभ

गौरतलब है कि किसी भी बस का परमिट 5 साल के लिए जारी होता है. एक बस का परमिट जारी करने में परिवहन विभाग को करीब 9 हजार रुपये प्राप्त होता है. परमिट के आधार पर ही बसों के समय, रूट और ठहराव का निर्धारण होता है. परमिटवाली बसों के दुर्घटनाग्रस्त होने पर बस के यात्रियों और बस स्टॉफ को दुर्घटना बीमा का लाभ मिलता है, लेकिन अगर बिना परमिटवाली बस दुर्घटनाग्रस्त होती है तो बीमा का लाभ नहीं मिलता.

स्टेट और रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के 12 सद्स्यों का होना है मनोनयन

गौरतलब है कि राज्य में 5 जगहों पर रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी है. रांची, पलामू, हजारीबाग, दुमका और सरायकेला के रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी में दो-दो सदस्य का मनोनयन होना है. इसके अलावा स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी में भी दो सदस्यों का मनोनयन होना है. यानी रीजनल और स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी मिलाकर कुल 12 सदस्यों का मनोनयन होना है. जबतक सदस्यों का मनोनयन नहीं होगा और बैठक नहीं होगी, तबतक राज्य की बसों को परमिट नहीं मिलेगा और राजस्व को चूना लगता रहेगा. इसे भी पढ़ें – आंदोलनरत">https://lagatar.in/agitating-jpsc-candidates-launched-postcard-campaign/">आंदोलनरत

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