Saurav Singh
Ranchi : सिपाही में नौकरी लगाने के नाम पर 514 छात्रों से वसूली गई है. छात्रों से पांच करोड़ से अधिक की वसूली की गई है. यह मामला साल 2013 का है. जब झारखंड पुलिस ने 514 छात्रों को फर्जी नक्सल मामले में सरेंडर कराया था.छात्रों को झांसा दिया गया था कि सरेंडर करने के बाद सभी की सिपाही में भर्ती करायी जायेगी. जिसके लिए छात्रों से एक लाख से लेकर 4.50 लाख रुपये तक की लिया गया था. किसी ने जमीन बेचकर तो किसी ने कर्ज लेकर पैसा रवि बोदरा को दिया था. इस मामले के नौ साल बीत जाने के बाद भी छात्रों को ना तो नौकरी मिली और ना ही न्याय मिल पाया है.
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साल 2013 में किया था सरेंडर
साल 2013 में रांची, खूंटी, गुमला और सिमडेगा जिलों के 514 युवकों को एक साथ सरेंडर करवाकर पुलिस महकमे ने अपनी नाक ऊंची कर ली थी. युवकों को सीआरपीएफ कोबरा बटालियन के जवानों की निगरानी में पुरानी जेल परिसर में रखा गया था. हथियार के साथ तस्वीर ली गयी थी. उस वक्त सीआरपीएफ झारखंड सेक्टर के आइजी डीके पांडेय थे. जो बाद में राज्य के डीजीपी बने थे.
रवि बोदरा ने हाइकोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर किया था
जनवरी 2021 में 514 छात्रों को फर्जी नक्सली बताकर सरेंडर कराये जाने के मामले में रवि बोदरा ने हाइकोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर किया था. हस्तक्षेप याचिका में कहा गया था कि उस समय के सीआरपीएफ आईजी, राज्य के पूर्व डीजीपी डीके पांडेय, पूर्व गृह सचिव जेबी तुबिद, आईजी एसएन प्रधान, कोबरा बटालियन के डिप्टी कमांडेंट पीआरके मिश्रा, कंपनी कमांडेंट लखेद्र सिंह और रांची के तत्कालीन एसएसपी को पूरी मामले की जानकारी थी.
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क्या कहते है पीड़ित युवा
राजेश कुमार ने कहा कि सरेंडर करने के बाद हम लोग को सिपाही में नौकरी लगाने की बात कही गई थी. नौकरी के बदले रुपया भी लिया गया था, लेकिन आज तक कुछ भी नहीं हो पाया.
रोशन ने कहा जमीन बेचकर रुपया दिया था. सिपाही में नौकरी लग जाएगा. अच्छा तरीके से जीवन यापन करेंगे, लेकिन रुपया भी चला गया और नौकरी भी नहीं मिली.
देवेंद्र ने बताया कि हथियार के साथ सरेंडर करवाया गया और कहा कि सरेंडर करने के बाद सिपाही में नौकरी लगेगा. इसके लिए रुपया देना पड़ेगा. रुपया तो दे दिए लेकिन नौकरी नहीं मिली.
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