LagatarDesk : शारदीय नवरात्रि गुरुवार से शुरू हो गया है. इस बार दो तिथियां एक साथ पड़ेगी. इसके कारण नवरात्रि नौ दिन का नहीं होकर आठ दिन की होगी. इसलिए इस बार 14 अक्टूबर 2021 को ही महानवमी मनाई जायेगी. बता दें कि नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की अराधना की जाती है. यानी आज (9 अक्टूबर) को चंद्रघंटा को खुश करने का दिन है.
ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा
नवरात्रि में तीसरे दिन चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. सबसे पहले चौकी पर साफ वस्त्र पीत बिछाकर मां चंद्रघंटा की प्रतिमा को स्थापित करें. मां को गंगाजल, दूध, दही, घी और शहद से स्नान कराने के बाद वस्त्र, हल्दी, सिंदूर, पुष्प, चंदन, रोली, मिष्ठान और फल चढ़ायें.
मां को पसंद है रामदाना और दूध से बनी चीजें
मां चंद्रघंटा को रामदाना का भोग लगाना चाहिए. इसके अलावा दूध या उससे बनी चीजों का भोग लगाना चाहिए. इसके अलावा माता को शहद का भी भोग लगा सकते हैं. पूजा के बाद ब्राह्मण को दूध दान देने का भी मान्यता है. इस दिन सिंदूर लगाने का भी परंपरा है. माना जाता है कि इन चीजों का दान करने से मां चंद्रघंटा खुश होती हैं और व्यक्ति के सभी दुखों का नाश करती हैं.
चंद्रघंटा की पूजा करते समय पहने भूरे या गोल्डन रंग के कपड़े
देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए. मां को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है. इसीलिए गोल्डन रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है.
इन मंत्रों का करें जाप
- या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: - पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
जानें मां चंद्रघंटा के स्वरूप के बारे में
चंद्रघंटा को शांतिदायक और कल्याणकारी माना जाता है. मां का यह रूप देवी पार्वती का विवाहित रूप है. भगवान शिव के साथ विवाह के बाद देवी महागौरी ने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण किया था. इसलिए उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा. मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है. इनके दस हाथ हैं. इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं. इनका वाहन सिंह है. इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने की होती है.
मां चंद्रघंटा की आराधना से सांसारिक कष्टों से मिलती है मुक्ति
मां चंद्रघंटा का पूजन करने से सारे पाप एवं बाधाएं खत्म हो जाती हैं. मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक पराक्रमी व निर्भय हो जाता है. मां चंद्रघंटा प्रेतबाधा से भी रक्षा करती है. इनकी आराधना से वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होकर मुख, नेत्र और संपूर्ण काया का भी विकास होता है. मां चंद्रघंटा की उपासना से मनुष्य समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है.