Praveen Kumar
Barkagaon (Hazaribagh) : बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र से पिछले तीन चुनावों से कांग्रेस के टिकट पर लगातार योगेंद्र साव या उनके परिवार का सदस्य जीत रहा है. फिलहाल पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की बेटी अंबा प्रसाद विधायक हैं. विस्थापितों के नाम पर राजनीति चमकानेवाला साव परिवार अक्सर विवादित बयानों और कारनामों को लेकर सुर्खियों में रहता है. योगेंद्र साव जब विधायक और मंत्री बने, तो उन पर नक्सली संगठन झारखंड टाइगर ग्रुप बनाने, अधिकारियों के साथ मारपीट करने और रंगदारी मांगने का आरोप लगा. नक्सली संगठन झारखंड टाइगर ग्रुप बनाने के मामले में गिद्दी थाने में एफआईआर (कांड संख्या 48/14) दर्ज हुई. सीअआईडी जांच में इसकी पुष्टि भी हुई थी.फलस्वरूप उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. कोर्ट में मामले में ट्रायल चल रहा है. गिद्दी थाना में रंगदारी मामले में ( कांड संख्या 55/11) उन्हें जेल भी जाना पड़ा. ढाई साल की सजा भी हुई थी. इसके बाद उनकी पत्नी निर्मला देवी विधायक बनी थीं. उनके कार्यकाल में बड़कागांव में उनके नेतृत्त्व में हुए दो आंदोलनों में दो गोलीकांड हुए, जिसमें चार लोगों की मौत हुई और दर्जनों लोग घायल हुए. चिरूडीह गोलीकांड मामले में योगेंद्र साव और निर्मला देवी को 10-10 साल की सजा हुई है. फिलहाल दोनों जमानत पर जेल से बाहर हैं. फिलहाल उनकी बेटी अंबा प्रसाद विधायक हैं. अंबा प्रसाद भी अपने कारनामों को लेकर चर्चा में रहती हैं. कर्णपुरा कॉलेज में 48 लाख के गबन और कटकमदाग थाना परिसर से बालू लदे ट्रैक्टर छुड़ाने के आरोप में उनके खिलाफ मामला दर्ज हो चुका है. जमीन कब्जा करने जैसे आरोप भी लगते रहे हैं. इलाके में लोग कहने लगे हैं कि साव परिवार अपना नफा-नुकसान देखकर ही बयानबाजी करता है और निजी हित की बात बनते ही मौका देखकर चुप्पी भी साध लेता है.
एनटीपीसी की पंकरी -बरवाडीह परियोजना में काम बंद कराया, फिर चालू हो गया
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में बड़कागांव विधानसभा से अंबा प्रसाद चुनाव जीतीं. एनटीपीसी की पंकरी -बरवाडीह परियोजना में नौकरी और मुआवजा की मांग को लेकर विस्थापितों का आंदोलन भी चल रहा था. विधायक बनने के बाद अंबा प्रसाद भी उनके आंदोलन में कूद पड़ीं. प्रभावित क्षेत्र के हजारों बेरोजगारों से नौकरी के नाम बायोडाटा लिया और आंदोलन तेज किया गया. एनटीपीसी के ट्रांसपोर्टेशन को रोक दिया गया. कई सप्ताह तक काम बंद कराने के बाद अचानक काम चालू हो गया. धरना पर बैठे लोगों को पुलिस बल द्वारा खदेड़ दिया गया. धरना दे रहे लोगों पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं और कइयों को जेल भी भेज दिया. उसी समय विधायक के चाचा का एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें उनके द्वारा नौकरी देने और दिलवाने की बात कही जा रही थी. लेकिन उसके बाद आज तक पंकरी -बरवाडीह में कोई धरना-आंदोलन विधायक परिवार ने नहीं किया.
अवैध खनन पर मुखर, पर सड़क मार्ग से अवैध ट्रांसपोर्टेशन पर विधायक ने चुप्पी साधे रखी
एनटीपीसी की पंकरी-बरवाडीह कोल परियोजना में कंपनी की एमडीओ (माइंस डेवलपर ऑपरेटर) त्रिवेणी सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने नियम कानूनों को ताख पर रख कर दोमुहानी नाले की 100 एकड़ से अधिक जमीन को अवैध ढंग से खोद डाला. दैनिक शुभम संदेश ने अवैध खनन के मामले को प्रमुखता से उठाया. अवैध खनन को लेकर बवाल मचा. कई जांच में अवैध खनन की पुष्टि भी हुई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर नीचे से ऊपर तक के अफसरों-जनप्रतिनिधियों ने चुप्पी की चादर ओढ़े रखी. यहां अवैध खनन के साथ ही गलत ढंग से कोयले का ट्रांसपोर्टेशन भी होता रहा. विधानसभा में विधायक अंबा प्रसाद ने अवैध खनन का मामला उठाया, तो सरकार ने भी अवैध खनन की पुष्टि की. लेकिन विधायक अंबा प्रसाद ने अवैध ट्रांसपोर्टेशन के मामले में चुप्पी साधे रखी. लेकिन झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम ने बजट सत्र में कोयले के अवैध ट्रांसपोर्टेशन का मामला उठाया. सरकार ने जवाब में कहा कि हजारीबाग उपायुक्त से प्रतिवेदन प्राप्त होने पर कार्रवाई की जाएगी.
कौन हैं खरांटी निवासी संजय कुमार, कैसे मिला एनटीपीसी का काम
जुलाई 2020 से खरांटी निवासी संजय कुमार को एनटीपीसी से कोयला ट्रांसपोर्टेशन के सिलसिले में कोयला लदे रेल बैगन को ढंकने सहित अन्य काम मिलने लगा. क्षेत्र के लोग बताते हैं कि संजय रिश्ते में विधायक के दूर के मामा लगते हैं. विस्थापितों का कहना है कि विधायक के प्रभाव से उन्हें ट्रांसपोर्टेशन के दौरान रेलवे बैगन ढंकने का काम मिला था. हालांकि विधायक अंबा प्रसाद इससे साफ इनकार करती हैं. कहती हैं, आप पता कर लीजिए. मेरी इसमें कोई भूमिका नहीं है. अब कोई अपने प्रभाव से काम लेता है, तो इसमें वे क्या कर सकती हैं.
क्या कहते हैं बड़कागांव के विस्थापित
विस्थापितों के आंदोलन को विधायक परिवार ने हाईजैक किया : लखींद्र ठाकुर
बड़कागांव के विस्थापित रैयत लखींद्र ठाकुर कहते हैं कि एनटीपीसी के खिलाफ विस्थापन विरोधी आंदोलन किसानों ने शुरू किया था. इस आंदोलन को विधायक परिवार ने हाईजैक कर लिया. रैयतों के इस मजबूत आंदोलन को विधायक परिवार ने अपने स्वार्थ के लिए यूज किया. बड़कागांव विधायक और उसका परिवार एनटीपीसी के साथ खड़ा है. पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना में किसानों की दुर्दशा देखकर अब किसान जाग गए हैं. बड़कागांव के गोदलपुरा में अडाणी की कोल परियोजना के खिलाफ चल रहे आंदोलन में किसी नेता को शामिल ही नहीं होने दे रहे हैं.
विधायक से उम्मीद नहीं, एनटीपीसी के साथ खड़ी हैं : रामदुलार साहू
विस्थापित रैयत रामदुलार साहू कहते हैं कि बड़कागांव के आंदोलन में राजनीतिज्ञों की इंट्री ने किसानों को बर्बाद कर दिया है. एनटीपीसी ने जो वादा किया था, उसे आज तक पूरा नहीं किया गया. अब तो विस्थापितों ने विधायक से किसी तरह की उम्मीद ही छोड़ दी है. विधायक निजी हित के लिए एनटीपीसी के साथ खड़ी हैं, क्योंकि उससे उनके परिवार और रिश्तेदारों का हित हो रहा है, न कि किसानों-रैयतों का.
अपने फायदे के लिए विधायक ने आंदोलन समाप्त कराया : सोनू इराकी
समाजसेवी सोनू इराकी का कहना है कि विधायक अंबा प्रसाद ने विस्थापितों को आश्वासन दिया कि जबतक एक एकड़ का एक करोड़ मुआवजा नहीं मिलेगा, आंदोलन जारी रहेगा. इस धरना कार्यक्रम में कांग्रेस विधायक डॉ इरफान अंसारी, उमाशंकर अकेला, पूर्णिमा नीरज सिंह, ममता देवी, भूषण बाड़ा शामिल हुए थे. लेकिन आश्वासन पूरा नहीं हुआ. अपने फायदे के लिए 6 पंचायत के लोगों के 67 दिनों के आंदोलन को विधायक ने समाप्त करा दिया. और कुछ दिनों के बाद ही कंपनी ने काम शुरू कर दिया,
आंदोलन में विधायक परिवार की इंट्री होते ही चालू हाेने लगीं कोल कंपनियां : पंकज महतो
किसान बेरोजगार संघर्ष मोर्चा केंद्रीय संयोजक पंकज महतो कहते हैं कि बड़कागांव के आंदोलनों में जब से विधायक परिवार की जबरन इंट्री हुई है, तब से यहां सिर्फ कोल कंपनियां खुल रही हैं, लेकिन विकास शून्य है. विधायक निजी हित के लिए विस्थापितों के साथ आंदोलन करती हैं और सिर्फ और सिर्फ अपना व अपने परिवार व रिश्तेदारों की आमदनी का स्रोत निकाल कर चुप्पी साध लेती हैं. विस्थापितों को कोई फायदा नहीं होता है.
विधायक अंबा की सफाई, एनटीपीसी ने कइयों को मैनेज कर रखा है
एनटीपीसी ने बड़कागांव में कइयों को मैनेज कर रखा है. कोल ट्रांसपोर्टेशन के दौरान मरने वाले दोनों लोगों के आश्रितों को नौकरी और मुआवजा दिलाने का काम हमने किया है. उनके पिता योगेंद्र साव के 90% काम उन्हें करने देने से संबंधित वायरल ऑडियो के संबंध में कहा कि ऐसी बात नहीं है. स्थानीय लोगों को 90% काम मिलना चाहिए, यहीं मांग की जा रही थी. और ऐसा करना कोई गलत नहीं है. खरांटी निवासी संजय कुमार के संबंध में कहा कि वह हमारे दूर के रिश्तेदार हैं या नजदीक के यह पता कर लीजिए. कोई अपनी क्षमता से काम अगर लेता है, तो उसे हमसे जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.