Advertisement

टूटती सांसों की डोर थाम रहे जयंत, मनीष और अंबा

  • सांसद ने मंगवाये 50-50 ऑक्सीमीटर और ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर
  • सांसद की पहल पर 10 वेंटिलेटर की भी व्यवस्था हुई
  • विधायक मनीष जायसवाल ने मंगवाये 100 ऑक्सीजन सिलेंडर
  • अंबा की पहल पर बन रहा 100 बेड का आइसोलेशन सेंटर

Hazaribagh:  हजारीबाग राज्य का तीसरा सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित जिला बन चुका है. रांची और पूर्वी सिंहभूम के बाद सबसे ज्यादा मरीज यहां मिल रहे हैं. जिले में अबतक 12794 कोरोना संक्रमित मरीज मिल चुके हैं, वहीं 93 लोगों की जान जा चुकी है. मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं और स्वास्थ्य सुविधाएं घट रही हैं. जिला प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद स्थिति सुधर नहीं रही. ऐसे में कोरोना के कारण लोगों की टूटती सांसों की डोर थामने के लिए सांसद और विधायक सामने आये हैं. सांसद जयंत सिन्हा, विधायक मनीष जायसवाल और अंबा प्रसाद की पहल पर जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ी हैं.

संक्रमित मरीजों को इलाज के लिए रांची जाने की जरूरत नहीं पड़ रही हैं. सांसद जयंत सिन्हा ने हजारीबाग संसदीय क्षेत्र के लिए 50 ऑक्सीमीटर मंगवाए हैं. इसके अलावा उन्होंने 50 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर भी मंगवाए हैं. उन्होंने टाटा स्टील से सीएसआर के तहत लोकसभा क्षेत्र के 10 नये वेंटिलेटर की भी व्यवस्था करवाई है. उन्होंने कहा है कि कोरोना को हराने और लोगों की सुरक्षा के लिए हर कदम उठा रहे हैं.

विधायक मनीष जायसवाल ने मंगवाये हैं 100 ऑक्सीजन सिलेंडर

इधर विधायक मनीष जायसवाल ने 100 आक्सीजन सिलेंडर का ऑर्डर किया है, जिसमें 40 सिलेंडर पहुंच चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने अपने विधायक निधि की राशि ₹10 लाख ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए और ₹5 लाख रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए भी दिया है. विधायक कोरोना को मात देकर ठीक हुए मरीजों से संपर्क कर प्लाज्मा डोनेट करने की भी अपील कर रहे हैं. विधायक लगातार अस्पतालों के भी संपर्क में हैं. मरीजों को अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और रेमेडिसिवर दिलवाने के लिए अपनी तरफ से पूरी ताकत लगा रहे हैं.

अंबा की पहल पर बन रहा 100 बेड का आइसोलेशन सेंटर

कोरोना काल में बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद काफी एक्टिव हैं. गरीबों के बीच लगातार खाद्य सामग्री बांट रही हैं. उनकी पहल पर रामगढ़ के पतरातू में 100 बेड का अस्थाई आइसोलेशन सेंटर बन रहा है. विधायक बड़कागांव में सालों से स्थापित कंपनियों से भी अपील कर रही हैं कि वे मदद के लिए आगे आयें. कंपनियों ने स्थानीय लोगों की जमीन और मजदूरी से खूब मुनाफा कमाया है. ऐसे में उनका फर्ज़ बनता है कि इस विपदा की घड़ी में जनता के हित एवं मानवीय मूल्यों के लिए समाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें और मानव जीवन की रक्षा करें.