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5 राज्यों में जीत का गुणा-भाग, मोदी सरकार की ओबीसी क्रीमीलेयर में इनकम लिमिट 8 से बढ़ाकर 12 लाख करने की तैयारी!

  NewDelhi : केंद्र की मोदी सरकार  द्वारा पांच  राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले एक अहम फैसला किये जाने की खबर आ रही है. सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार आरक्षण के लिए ओबीसी क्रीमीलेयर लिमिट को बढ़ाने की तैयारी में है. आरक्षण के लिए ओबीसी क्रीमीलेयर की लिमिट 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख करने की तैयारी है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी  कि मिनिस्ट्री द्वारा इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने को कहा गया है. इसे भी पढ़ें : ">https://lagatar.in/swami-prasad-maurya-said-will-do-the-last-blast-on-14th-this-will-be-the-last-nail-in-the-coffin-of-bjp-government/">

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इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर फिर से पुनर्विचार की पहल

थोड़ा पीछे जायें तो केंद्र सरकार ने तीन साल पहले अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)की क्रीमी लेयर के लिए इनकम लिमिट को लेकर कदम बढ़ाया था.  अब राजनीतिक रूप से इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर फिर से पुनर्विचार की पहल की  जा रही है. चर्चा है कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा सालाना आय की अधिकतम सीमा को वर्तमान आठ लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख करने पर विचार किया जायेगा. इसे भी पढ़ें : ">https://lagatar.in/sc-forms-5-member-committee-in-pm-modis-security-lapse-case-justice-indu-malhotra-will-lead/">

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सैलरी और कृषि आय शामिल करने को लेकर विचार

इस क्रम में मंत्रालय इस बात पर विचार विमर्श करेगा कि वार्षिक आय गणना में वेतन और कृषि आय को शामिल किया जाना चाहिए या नहीं.  एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय को इस मुद्दे की फिर से जांच करने के लिए कहा गया है.  अधिकारी ने बताया कि जो कैबिनेट नोट रखा गया था उसे वापस कर दिया गया है.  हम फिर से परामर्श शुरू करेंगे. इसे भी पढ़ें : पाकिस्तान">https://lagatar.in/pakistans-new-national-security-policy-will-not-enmity-with-india-for-100-years-kashmir-issue-is-a-thing-of-the-pastis-it-true/">पाकिस्तान

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ओबीसी को 27% आरक्षण मिलता है 

वर्तमान में, ओबीसी को उच्च शिक्षण संस्थानों और सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार में 27% कोटा मिलता है. इसमें माता-पिता की सकल वार्षिक आय 8 लाख रुपये से अधिक नहीं होने की शर्त है. 8 लाख और उससे अधिक की वार्षिक आय वाले व्यक्ति को क्रीमी लेयर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता है.

 हर तीन साल पर होती है समीक्षा

आमतौर पर इनकम क्राइटेरिया की हर तीन साल में समीक्षा की जाती है. पिछली समीक्षा 2017 में हुई थी जब भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने इसे 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये कर दिया था. 2013 में, कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने सकल वार्षिक आय मानदंड 4.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दिया था।. हालांकि, 2020 की समीक्षा से पहले, मंत्रालय ने मार्च 2019 में सेवानिवृत्त सचिव बीपी शर्मा के तहत एक पैनल का गठन किया. पैनल का गठन न केवल सकल वार्षिक आय सीमा की समीक्षा करने के लिए किया गया था, बल्कि क्रीमी लेयर की कसौटी निर्धारित करने के लिए मानदंडों पर फिर से विचार करने के लिए भी किया गया था. wpse_comments_template]

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