NewDelhi : साल 2008 में 26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा भारत प्रत्यर्पण किये जाने से बचने के लिए नयी जुगत में भिड़ गया है. खबर है कि राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई है कि उनके प्रत्यर्पण पर इमरजेंसी स्टे लगाया जाये. अपनी याचिका में तहव्वुर राणा ने दलील दी है कि अगर उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया तो वहां प्रताड़ित किया जायेगा. कहा कि वह भारत में ज्यादा सर्वाइव नहीं कर पायेगा. खुद के पाकिस्तान मूल के मुस्लिम होने का हवाला देते हुए कहा, इस कारण उसे भारत में अत्यधिक प्रताड़ित किया जायेगा. 63 वर्षीय तहव्वुर राणा फिलहाल लॉस एंजिल्स की जेल में बंद है.
भारत(मोदी) सरकार लगातार तानाशाह होती जा रही है
जानकारी के अनुसार राणा ने ह्यूमन राइट्स वॉच 2023 की वर्ल्ड रिपोर्ट के हवाले से कहा कि भारत की मौजूदा भाजपा सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों विशेष रूप से मुस्लिमों के साथ भेदभाव करती है. याचिका में आरोप लगाया कि भारत(मोदी) सरकार लगातार तानाशाह होती जा रही है. तहव्वुर राणा ने कहा, इसके पर्याप्त कारण हैं कि भारत सरकार को सौंपे जाने पर उसे प्रताड़ना झेलनी पड़ेगी.तहव्वुर राणा ने दलील दी कि वह कई बीमारियों से जूझ रहा है. उसे पार्किंसंस की समस्या भी है. उसे ऐसी जगह नहीं भेजा जाये, जहां राष्ट्रीय, धार्मिक और सांस्कृतिक तौर पर उसे निशाना बनाया जायेगा.
तहव्वुर राणा का जन्म पाकिस्तान में हुआ था
तहव्वुर राणा का जन्म पाकिस्तान में हुआ था. वह आर्मी मेडिकल कॉलेज में पढ़ा. पाकिस्तान आर्मी में 10 साल तक डॉक्टर के रूप में काम काम किया. बाद में वह भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गया. तहव्वुर राणा वर्तमान में कनाड़ाई का नागरिक है. अदालत में मौजूद दस्तावेजों के अनुसार वह कनाड़ा, पाकिस्तान, जर्मनी और इंग्लैंड की यात्राएं कर चुका है. वह 7 भाषाएं जानता है.
राणा ने पाकिस्तान में डेविड हेडली और दूसरे लोगों के साथ मिलकर साजिश रची
आरोप है कि 2006 से लेकर नवंबर 2008 तक तहव्वुर राणा ने पाकिस्तान में डेविड हेडली और दूसरे लोगों के साथ मिलकर साजिश रची. उसने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हरकत उल जिहाद ए इस्लामी की मदद करते हुए मुंबई आतंकी हमले की प्लानिंग की. बता दें कि आतंकी हेडली इस मामले में सरकारी गवाह बन गया है.
26 नवंबर 2008 को मुंबई पर आतंकी हमला हुआ था
26 नवंबर 2008 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर आतंकी हमला हुआ था. हमले के बाद 200 एनएसजी कमांडो और सेना के पचास कमांडो को मुंबई भेजा गया था. आतंकी हमले को नाकाम करने में लगे मुंबई पुलिस, एटीएस और एनएसजी के 11 जवानों को वीरगति मिली थी. इनमें एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे, एसीपी अशोक कामटे, एसीपी सदानंद दाते, एनएसजी के कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट एसआई विजय सालस्कर सहित अन्य शामिल थे.
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