-
रांची विश्वविद्यालय की जनजातीय भाषाएं सफलता के नए शिखर पर.
-
खड़िया भाषा में 6 छात्रों ने जेआरएफ और 2 ने नेट परीक्षा पास की.
-
संथाली भाषा में 5 छात्र जेआरएफ और 3 नेट परीक्षा में सफल हुए.
-
हो भाषा: जेआरएफ व नेट में कुल 4 छात्र-छात्राएं सफल हुए.
Basant Munda
Ranchi: रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग ने एक बार फिर अपने उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन से सबका ध्यान खींचा है. विश्वविद्यालय में संचालित पांच जनजातीय भाषाओं मुंडारी, संथाली, कुड़ुख, खड़िया और हो भाषाओं के छात्रों ने यूजीसी नेट और जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) में शानदार प्रदर्शन किया है.
जेआरएफ में मुंडारी भाषा पहले स्थान पर
मुंडारी भाषा विभाग ने जेआरएफ में सबसे अधिक 16 छात्र-छात्राओं को सफलता दिलाई है. जिससे यह भाषा प्रथम स्थान पर रही. इसके अतिरिक्त, नेट परीक्षा में भी मुंडारी के 9 विद्यार्थी सफल हुए हैं. कुल मिलाकर 25 विद्यार्थियों में 13 छात्राएं और 12 छात्र शामिल हैं.
नेट (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) परीक्षा में कुड़ुख भाषा का दबदबा
नेट परीक्षा में सबसे शानदार प्रदर्शन कुड़ुख भाषा विभाग का रहा है. यहां के 22 छात्र-छात्राओं ने नेट परीक्षा पास की है. वहीं जेआरएफ में भी विभाग पीछे नहीं रहा और 15 छात्रों ने जेआरएफ पास किया. इस तरह कुल 37 छात्रों ने इस भाषा में सफलता पाई है, जिससे कुड़ुख भाषा नेट में अव्वल और जेआरएफ में दूसरे स्थान पर रही.
रांची विश्वविद्यालय बना जनजातीय शिक्षा का केंद्र
कुडुख भाषा विभागाध्यक्ष डॉ बदे उरांव ने कहा कि रांची विश्वविद्यालय का जनजातीय भाषा विभाग आज देशभर में एक मिसाल पेश किया है. क्षेत्रीय भाषाओं में राज्यभर में उच्च स्तर की सफलता हासिल कर रहा है. अगर उचित दिशा और संसाधन मिलें, तो जनजातीय छात्र भी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में अपना परचम लहरा सकते हैं.