विदेश मंत्री ने पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि कुल वोटर्स में लगभग दो-तिहाई ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.
NewDelhi : पश्चिमी देश लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन करने में शायद विश्वास नहीं करते, खासकर पड़ोसी देशों में जो ताकतें लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखतीं, उनके प्रति पश्चिम का रवैया अक्सर दोहरा होता है. विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने यह बात म्यूनिख सिक्यॉरिटी कॉन्फ्रेंस में कही. उन्होंने पश्चिमी देशों के दोहरे चरित्र पर सवाल उठाये. उन्होंने लोकतंत्र पर पश्चिम की कथनी और करनी में अंतर को उदाहरण देकर समझाया.
विदेश मंत्री ने नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर, अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लोटकिन और वारसॉ के मेयर रफाल ट्रजास्कोवस्क के साथ लिव टू वोट अनदर डे: फोर्टिफाइंग डेमोक्रेटिक रेजिलिएंस’ पर एक पैनल चर्चा के दौरान यह बात कही.
Ukraine’s Minister of Foreign Affairs, Andrii Sybiha, tweets, ” I thank Dr. S Jaishankar for our meaningful meeting. We are interested in developing relations with India and advancing cooperation in trade, technology, agriculture, security, and other areas. We also rely on… pic.twitter.com/sC31waAQaF
— ANI (@ANI) February 15, 2025
बैठक में पैनल के कुछ लोगों ने कहा था कि दुनियाभर में लोकतंत्र खतरे में है. भारतीय विदेश मंत्री ने उनके इस दावे को खारिज किया. कहा कि लोकतंत्र वैश्विक स्तर पर संकट में है, इसे लेकर उनका विचार कुछ अलग है.वह ये नहीं मानते. इसके साथ ही उन्होंने भारत के लोकतंत्र पर भी बात की.
डॉ जयशंकर ने कहा, मैं लोकतंत्र को लेकर आशावादी
एस जयशंकर ने कहा कि लोकतंत्र को लेकर वह आशावादी हैं. उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव का जिक्र किया. इस दौरान डॉ. जयशंकर ने मतदान के दौरान अपनी ऊंगली पर लगी स्याही दिखाई। उन्होंने पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि कुल वोटर्स में लगभग दो-तिहाई ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. वोटों की गिनती भी एक ही दिन में हुई. उन्होंने कहा कि चुनाव के परिणाम को लेकर भी कोई मतभेद नहीं है.
डॉ जयशंकर ने पश्चिमी देशों के पुराने रवैये को उजागर किया
डॉ जयशंकर ने पाकिस्तान और बांग्लादेश का नाम लिये बिना पश्चिमी देशों के पुराने रवैये को उजागर किया. कहा कि पश्चिमी देश लोकतंत्र को अपनी विशेषता मानते रहे हैं, लेकिन अक्सर विकासशील देशों में गैर-लोकतांत्रिक ताकतों को बढ़ावा देते रहे हैं. डॉ जयशंकर ने म्यूनिख सिक्यॉरिटी कॉन्फ्रेंस में कहा, सच यह है कि पश्चिम एक समय लोकतंत्र को पश्चिमी देशों की विशेषता मानता था. लेकिन उसी समय विकासशील देशों में गैर-लोकतांत्रिक ताकतों को बढ़ावा देने के काम में लगा हुआ था. वह अब भी ऐसा कर रहा है. यह बात साफ हो गयी है कि पश्चिमी देश अपने यहां तो लोकतंत्र की बात करते हैं, लेकिन खुद विदेश नीति में उसे दरकिनार करते हुए उसका पालन नहीं करते.
भारत ने आजादी के बाद लोकतांत्रिक व्यवस्था अपनाई
विदेश मंत्री ने भारत के संदर्भ में कहा, हर देश की अपनी अलग पहचान होती है. भारत ने आजादी के बाद लोकतांत्रिक व्यवस्था अपनाई. कहा कि भारतीय समाज शुरू से ही विचार-विमर्श और विविधता में विश्वास रखता है. इसलिए भारत इस क्षेत्र में लोकतंत्र की मिसाल है. लोकतंत्र के रास्ते पर चलते हुए तमाम चुनौतियों के बावजूद हम लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं. इस क्षेत्र में ऐसा करने वाले हम लगभग अकेला देश हैं.’
पश्चिमी देशों को एस जयशंकर की सलाह
डॉ जयशंकर ने लोकतंत्र के संदर्भ में पश्चिमी देशों से आग्रह किया कि वे पश्चिम से बाहर उभर रहे सफल लोकतांत्रिक मॉडल को स्वीकार करें. कहा कि अगर दुनियाभर में लोकतंत्र को मजबूत करना है, तो पश्चिमी देशों को इन अनुभवों से सीख लेते हुए उनका समर्थन करना होगा. अगर आप(पश्चिमी देश) सच में चाहते हैं कि लोकतंत्र प्रबल हो, तो यह महत्वपूर्ण होगा कि आप बाहर के सफल मॉडलों को अपनायें. बता दें कि विदेश मंत्री जयशंकर पश्चिम को पहले भी कई मुद्दों पर आईना दिखा चुके हैं.
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