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रांची में म्यूटेशन की फाइलें धूल फांक रहीं, 11 हजार से ज़्यादा मामले पेंडिंग

Manish Bhardwaj

Ranchi : राजधानी में जमीन के म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) की प्रक्रिया बुरी तरह लड़खड़ा गई है. जिले के अंचलों में हजारों मामले महीनों से लटके हुए हैं. 1 अप्रैल 2023 से 12 जून 2025 तक की रिपोर्ट के मुताबिक, जिले में कुल 11,448 म्यूटेशन लंबित हैं, बिना आपत्ति वाले.

 

सबसे ज़्यादा लंबित मामले कांके, नामकुम और रातू में

रिपोर्ट के अनुसार, कांके अंचल म्यूटेशन देरी में सबसे आगे है. जहां 1,391 मामले 30 दिन से कम और 1,414 मामले 30-90 दिन से बिना आपत्ति के अटके हुए हैं. नामकुम में 1,099 और रातू में 571 मामले 30 दिन से कम समय से लंबित हैं.

अन्य प्रमुख आंकड़े 

  • अरगोड़ा: 236 (30 दिन से कम), 71 (30-90 दिन)
  • बड़गाईं: 235 (30 दिन से कम), 69 (30-90 दिन)
  • हेहल, चान्हो, अंगारा, मंडार जैसे अंचलों में भी सैकड़ों मामले फंसे हैं.


51 मामले एक साल से ज्यादा समय से लटके

रिपोर्ट बताती है कि 6573 मामले 30 दिन से कम समय से बिना आपत्ति के पेंडिंग हैं. वहीं 4380 मामले 30-90 दिन से, 423 मामले 90-180 दिन से, 21 मामले 180-360 दिन से और 51 मामले 360 दिन से ज़्यादा समय से दाखिल-खारिज की राह देख रहे हैं.

 

आपत्ति वाले मामलों की भी बुरी स्थिति

म्यूटेशन में आपत्ति वाले मामलों की संख्या भी कम नहीं है, इसमें 752 मामले 30 दिन से, 3,497 मामले 30-90 दिन से और 437 मामले 90-180 दिन से आपत्ति के साथ लंबित हैं. नामकुम, कांके, रातू और अरगोड़ा जैसे अंचलों में दर्जनों आपत्ति वाले मामले तय समय सीमा से बाहर जा चुके हैं.

 

सोनाहातू सबसे बेहतर स्थिति में

जहां बाकी अंचल पेंडिंग मामलों से जूझ रहे हैं. वहीं सोनाहातू में स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है. यहां सिर्फ 26 मामले 30 दिन से कम समय से लंबित हैं और कोई भी लंबी अवधि वाला मामला नहीं है.

 

देरी का खामियाजा भुगत रहे आम लोग

म्यूटेशन प्रक्रिया में देरी का सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है. न तो जमीन का मालिकाना हक सही समय पर मिल पा रहा है और न ही खरीदारों को रजिस्ट्री के बाद राहत.

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