Pravin Kumar
Ranchi: राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने 6 माह के भीतरही नामकुम सीओ सुरेंद्र उरांव का तबादला कर दिया. 29 सितंबर को इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई. इस तबादले को लेकर राज्य प्रशासनिक पदाधिकारियों के बीच में कई तरह की चर्चा हो रही है. कहा यह भी जा रहा है कि कुछ अधिकारियों को एडजेस्ट करने के लिए ऐसे और भी तबादले हो सकते हैं. मौजूदा समय में नामकुम सीओ सुरेंद्र उरांव के तबादले के बाद और भी अंचल अधिकारियों के तबादला की संभावना जतायी जा रही है. इस तबादले के बाद रांची में पदस्थापित अंचलाधिकारियों में उहापोह की स्थिति है. चर्चा है कि जुगाड़ के साथ अच्छी पोस्टिंग पायी थी, वह कहीं हाथ से ना निकल जाये.
कहा यह भी जा रहा है कि शहरी इलाके के वैसे अंचल जहां हर तरह के राजस्व की संभावना होती है, उन अंचलों में फेरबदल हो सकता है. सुरेंद्र उरांव के तबादले के बाद रांची, धनबाद, बोकारो, रामगढ़, हजारीबाग जिला के शहरी अंचलों में पदस्थापित अंचल अधिकारियों की धड़कनें तेज हो गई हैं. वहीं प्रतिक्षा सूची एवं मनचाहा पदस्थापन की लालसा रखने वाले अधिकारियों के बीच सुरेंद्र उरांव का तबादला एक अवसर के रूप में देखा जा रहा है. वैसे अधिकारी गणेश परिक्रमा भी तेज कर दिये हैं.
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नामकुम सीओ सुरेंद्र उरांव ने NIC की मिलीभगत से भूमि के रिकॉर्ड में छेडछाड़ का केस दर्ज कराया था
राज्य प्रशासनिक सेवा के कुछ अधिकारियों का मानना है सुरेंद्र उरांव ने नामकूम सीओ रहते हुए एनआईसी की मिलीभगत से भूमि का रिकॉर्ड में छेडछाड़ के मामले को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराया था. जिसके कारण विभाग के वरीये अधिकारियों ने सुरेंद्र उरांव को खरी-खोटी सुनायी थी. उस समय से सुरेंद्र उरांव विभाग के रडार पर थे. तबादले की पीछे की वजह यह भी बतायी जा रही है. नामकुम सीओ रहते सुरेंद्र उरांव ने अंचल के उलातू मौजा की 2.29 एकड़ भूमि, जिसका म्यूटेशन अंचल कार्यालय से खारिज कर दिया था. वहीं कुछ दिन बाद यह स्वत: मंजूर हो गया. इसे लेकर नामकुम के सीओ ने स्थानीय थाने में एफआईआर भी दर्ज कराया था. इस मामले में एनआईसी में कार्यरत कुछ भ्रष्ट लोगों की मिलीभगत से जमाबंदी कर दी गयी. जबकि इसकी जानकारी अंचल कार्यालय को नहीं थी.
तबादले के खेल का उदाहरण सीआई के ट्रांसफर में भी दिखा
राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से 14 जून 2021 को राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने 55 सीआई सह कानूनगो के तबादले की अधिसूचना जारी की थी. इस तबादले में चाहेतों को मनचाहा पदस्थापन दिया गया था. इसके लिए विभाग ने बीस दिनों के भीतर एक अधिकारी के चार बार तबादले किये थे. इस अधिसूचना में पहले की सूची में से चार-पांच नाम ऐसे हैं. जिनका दो बार या तीन बार ट्रांसफर किया गया है. जितनी बार संशोधन सूची जारी की गई है उन लोगों का नाम शामिल है. उस समय भी चर्चा आम थी कि चहेतों की मनमाफिक स्थान पर बिठाने के उद्देश्य से ऐसा किया गया है. ऐसे लोगों में शैलेश कुमार, श्रवण कुमार झा, देवकांत सिंह, बिरेंद्र कुमार साहु का नाम शामिल था.
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