Kolkata : नारदा स्टिंग केस मामले में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी कैनिबेट के दो मंत्रियों सहित दो टीएसी नेताओं को गिरफ्तारी और जमानत मिलने के बाद बदलते घटनाक्रम के बीच देर शाम कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन सभी की जमानत पर रोक लगा दी. कलकत्ता हाईकोर्ट ने चारों नेताओं की जमानत पर जमानत पर अस्थायी रोक लगायी है. हाईकोर्ट में इस मामले में 19 मई को सुनवाई होगी.
केस बंगाल से बाहर ट्रांसफर करने की मांग
जान लें कि बंगाल सरकार के मंत्री फिरहाद हाकिम और सुब्रत मुखर्जी को नारदा रिश्वत मामले में सीबीआई ने सोमवार सुबह गिरफ्तार किया था. इन चारों आरोपियों की जमानत के खिलाफ सीबीआई हाईकोर्ट पहुंची थी. खबर है कि एजेंसी ने सीबीआई कार्यालय के बाहर टीएमसी कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन का हवाला देते हुए केस को बंगाल से बाहर ट्रांसफर करने की मांग भी की है.
सीबीआई और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच टकराव की स्थिति
इन नेताओं को मामले की अगली सुनवाई तक जेल में रखा जायेगा. देर रात इन सभी को प्रेसिडेंसी जेल ले जाया गया. इससे पहले इन आरोपियों को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहा किया गया था. इस मामले में सीबीआई और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गयी है. गिरफ्तार के विरोध में सीएम ममता बनर्जी कोलकाता स्थित सीबीआई ऑफिस पहुंच गयी थीं.
धनखड़ ने चारों नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी.
इन दोनों मंत्रियेां के अलावा टीएमसी के विधायक मदन मित्रा और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेता सोवन चटर्जी को भी अरेस्ट किया गया था. सोवन ने भाजपा ज्वॉइन की थी लेकिन बाद में यह पार्टी भी छोड़ दी थी. बंगाल की सीएम ममता ने निजाम प्लेस स्थित सीबीआई ऑफिस पर छह घंटे से अधिक के अपने धरने के दौरान कहा था, जिस तरीके से प्रक्रिया का पालन किये बगैर इन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, सीबीआई को मुझे भी गिरफ्तार करना होगा.
नारदा स्टिंग मामले में कुछ नेताओं द्वारा कथित तौर पर धन लिये जाने के मामले का खुलासा हुआ था, हकीम, मुखर्जी, मित्रा और चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी लेने के लिए सीबीआई ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का रुख किया था. वर्ष 2014 में कथित अपराध के समय ये सभी मंत्री थे. धनखड़ ने चारों नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी.