NewDelhi : नासा ने अपनी वेबसाइट पर भारत में वायु प्रदूषण को लेकर एक रिपोर्ट साझा की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि क्यों नवंबर माह में भारत का आसमान धुंधला होता जाता है. साथ ही दर्शाया गया है कि कहां-कहां पराली जलायी जा रही है. नासा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पंजाब और हरियाणा के किसानों को पराली जलाना बेहद सस्ता और जल्दी पूरा होने वाला काम लगता है. जिससे वे अगली फसल के लिए अपने खेत तैयार कर सकें. लेकिन इस वजह से गंगा के मैदानी इलाकों में नवंबर-दिसंबर के महीनों भयानक प्रदूषण होता है.
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दिल्ली सर्वाधिक प्रभावित रहती है. बता दें कि कोरोनाकाल में थोड़ी राहत मिलने के बाद इस साल फिर दिल्ली दुनिया की स्मोग राजधानी बन गयी. साथ ही भारत के उत्तरी मैदानी इलाकों के कई शहर इसी स्थिति में थे. दिल्ली में रहने वाले दो करोड़ लोगों के लिए यह प्रदूषण बड़ी परेशानी है. ब्लूमबर्ग की खबर के अनुसार साल 2019 में भारत में प्रदूषित हवा की वजह से 16.7 लाख लोगों की मौत हुई है. यह एक बड़ी आपदा है. लॉकडाउन हटते ही गाड़ियों की संख्या में तेजी से इजाफा. कोयला आधारित उद्योगों का फिर से शुरु होना. निर्माण कार्यों से उठने वाले धूलकण और दिल्ली के आसपास के राज्यों में पराली (Stubble) को जलाना, इसका प्रमुख कारण है.
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कानून की वापसी से पंजाब में सियासी समीकरण बदलने के आसार, भाजपा, अकाली दल, कैप्टन अमरिंदर आयेंगे साथ! पराली जलाने से दिल्ली-NCR का आसमान धुंधला और जानलेवा हो जाता है
पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में पराली जलाने से दिल्ली-NCR का आसमान धुंधला और जानलेवा हो जाता है. इन राज्यों में प्रतिबंध भी लगाया गया है लेकिन उसके बाद भी पराली जलायी जाती है. किसान खेतों में आग लगाकर सफाई करते हैं ताकि सर्दियों में फिर से फसल लगा सकें. उत्तर भारत में यह समस्या बेहद आम है. खासतौर से सर्दियों के मौसम में. इस बात का प्रमाण तो अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) भी देती है. NASA के अनुसार इस साल बारिश की वजह से भारत में पराली जलाने की शुरुआत काफी देर से हुई थी. नासा के सुओमी एनपीपी सैटेलाइट (Suomi NPP Satellite) ने उत्तर भारत की 11 नवंबर की तस्वीर ली. उसने इस तस्वीर में भारत में पंजाब-हरियाणा के ऊपर घने गहरे बादल देखे जो दिल्ली की तरफ बढ़ रहे थे. यह तस्वीर विजिबल इंफ्रारेड इमेजिंग रेडियोमीटर सुईट (VIIRS) से ली गयी. इसके बाद इसकी पुष्टि के लिए कलर तस्वीर ली गयी.
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हाई कोर्ट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर मोदी सरकार से कहा, इस पर गंभीरता से विचार करें, यह जरूरी है उत्तरी पाकिस्तान, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पराली जलाई जा रही है
नासा के मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर में स्थित यूनिवर्सिटीज स्पेस रिसर्च एसोसिएशन के साइंटिस्ट पवन गुप्ता ने कहा कि नासा ने उसी दिन की वह तस्वीर भी ली, जिसमें कहां-कहां पराली जलाई जा रही है. इसमें पता चला कि उत्तरी पाकिस्तान, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के इलाकों में पराली जलाई जा रही है. पाकिस्तान, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाये जाने की वजह से निकलने वाला धुंआ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की ओर बढ़ता है. पवन के अनुसार दिल्ली और आसपास के इलाकों में भी प्रदूषण का स्तर ग्राउंड स्टेशन पर काफी ज्यादा दर्ज किया गया था. अमेरिकी दूतावास में लगे सेंसर्स ने बताया था कि 11 और 12 नवंबर को वायु प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा था. जिसकी वजह से सैकड़ों लोग सांस संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं. दिल संबंधी बीमारियां हो रही हैं. दमा के मरीजों के लिए इस समय दिल्ली सबसे ज्यादा खतरनाक स्थान है.
खराब मौसम भी प्रदूषण बढ़ाने में मदद करते हैं
ऐसा नहीं है कि सिर्फ पराली जलाना ही स्मोग का प्रमुख कारण है. नवंबर में राजस्थान के थार रेगिस्तान से उड़कर आने वाले धूल के कण भी दिल्ली-NCR के आसमान को धुंधला कर देते हैं. इसके अलावा गाड़ियों का चलना, औद्योगिक प्रदूषण, निर्माण कार्य, कचरा जलाना, खाना पकाना जैसी घटनाएं भी वायु प्रदूषण को तेजी से बढ़ाती हैं. इनसे पार्टिकुलेट मैटर तो बढ़ते ही हैं, साथ ही अन्य प्रदूषणकारी तत्वों की मात्रा में इजाफा होता है. खराब मौसम भी प्रदूषण बढ़ाने में मदद कर रहे हैं. तिब्बत से आने वाली सर्द हवा की वजह से तापमान कम होता है.
पंजाब-हरियाणा में 17 हजार जगहों पर पराली जलाई जा रही थी
यह हवा जब गंगा के मैदानी इलाकों में आती है तो धुएं से मिलती है. इसके बाद गर्म हवा के बीच प्रदूषणकारी तत्व फंस जाते हैं. जो सतह से ज्यादा ऊपर नहीं होते. नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के वैज्ञानिक हिरेन जेठवा ने बताया कि इस समस्या का एक ही इलाज है. वह है हरियाली. अगर हर साल हरियाली की मात्रा बढ़ाई जाये तो दिल्ली-NCR समेत उत्तर भारत के कई इलाके सर्दियों में प्रदूषणमुक्त हो सकते हैं. हिरेन ने बताया कि हमारी सैटेलाइटन Aqua MODIS ने जब 11-12 नवंबर को पराली जलाने की घटना को रिकॉर्ड किया तो पता चला कि पंजाब-हरियाणा में सिर्फ 17 हजार जगहों पर पराली जलाई जा रही थी. पवन गुप्ता ने कहा कि VIIRS के डेटा के अनुसार 16 नवंबर तक पंजाब में 74 हजार जगहों पर पराली जलाई गई थी. साल 2016 में सबसे ज्यादा 85 हजार जगहों पर पराली जलाये जाने का रिकॉर्ड है. सैटेलाइट के डेटा को देखिए तो पता चलेगा कि पंजाब में यह आंकड़ा लगातार बना हुआ है. हालांकि हरियाणा में किसानों ने पराली जलाना कम किया है. यहां पर 2012-19 की तुलना में साल 2020 में 45 फीसदी की गिरावट आयी थी. लेकिन इस साल यहां पर भी तेजी आयी है. [wpse_comments_template]
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