चर्चा से समाने आये सुझाव
आदिवासी के साथ काम करने वाले संगठनों ने आदिवासी समुदाय के विकास के लिए किए जाने वाले ठोस पहल की वकालत की. जिसमें जनजातीय कार्य विभाग को जनजातीय समुदायों के लिए सभी विकास कार्यक्रमों का केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में कार्य करना, आदिवासी इलाके के विकास में सुधार के लिए आदिवासी आबादी वाले गांवों को पुनर्गठित और सुव्यवस्थित करना, पेसा, एफआरए, एसपीटी और सीटीए जैसे आदिवासी कानूनों को समझने में विभागीय अधिकारियों और नौकरशाहों की क्षमता का निर्माण करना, व्यक्तिगत-केंद्रित योजना से क्षेत्र-आधारित योजना जनजातीय समुदायों को उनकी व्यक्तिगत और सामूहिक संपत्ति और संसाधनों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर सशक्त बनाना शामिल है. वहीं समुदायों की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए अनुच्छेद 275(1) के तहत प्रावधानों के पुनर्गठन और समीक्षा करने के सुझाव दिये गये. संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने के लिए पेसा-सशक्त गांवों को सीधे धन आवंटन करना जैसे महत्पूर्ण सुझाव दिए. साथ ही पारंपरिक आदिवासी स्वाशासन प्रणालियों और नई पंचायती राज प्रणाली के बीच तालमेल को बढ़ावा देने की बात भी कही गयी. कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र जनजातीय कार्य टीम में शामिल एनडीपी, फिया फाउंडेशन और फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी की भागीदारी रही. परामर्श में करीब 100 प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इनमें नीति-निर्माता, शोधकर्ता, समाजसेवी और आदिवासी नेता शामिल थे. इसे भी पढ़ें – नये">https://lagatar.in/appointment-of-new-cec-congress-said-hastily-issued-notification-at-midnight-it-is-against-the-spirit-of-the-constitution/">नयेCEC की नियुक्ति, कांग्रेस ने कहा, आधी रात जल्दबाजी में अधिसूचना जारी की, यह संविधान की भावना के खिलाफ हर खबर के लिए हमें फॉलो करें Whatsapp Channel: https://whatsapp.com/channel/0029VaAT9Km9RZAcTkCtgN3q
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