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राष्ट्रीय परामर्शः आदिवासी विकास पर मंथन, जुटे दिग्गज

Ranchi: अनुसूचित जनजातियों और आदिवासियों की स्थिति पर राष्ट्रीय परामर्श रांची में नीति आयोग के मार्गदर्शन आयोजन किया गया. कार्यक्रम में नीति आयोग ने सतत विकास लक्ष्य को "सबका साथ, सबका विकास" की अवधारणा से जोड़ा और राष्ट्रीय परामर्श के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा यह प्रक्रिया सही दिशा में आगे बढ़ रही है. जिससे अन्तिम पायदान पर खड़ें लोगो को भी विकास योजना से जोड़ने के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा को आगे ले जायेगा. परामर्श की रिपोर्ट नीति आयोग को सौंपी जाएगी. इसे जुलाई 2025 में संयुक्त राष्ट्र उच्च-स्तरीय राजनीतिक मंच में रखा जायेगा. फिया फाउंडेशन के निदेशक जॉनसन टोपनो ने आदिवासियों के अधिकारों और उनके विकास की योजना बनाने पर जोर दिया. यूएनडीपी के इसाबेल ने सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में आदिवासियों की भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही. वहीं यूनिसेफ के डेनिस लार्सेन ने बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण को आदिवासी विकास से जोड़ा. जेएनयू की प्रोफेसर सोना झरिया ने कहा कि अधिकार नहीं, बल्कि स्वामित्व देना होगा. इससे ही आदिवासियों का समावेशी विकास संभव होगा. इन बिंदुओं पर हुई चर्चा 1. बुनियादी सुविधाएं – शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और बुनियादी ढांचा. 2. प्राकृतिक संसाधन अधिकार – वन अधिकार, मानव-पशु संघर्ष और प्रबंधन। 3. आजीविका – गरिमा, रोजगार, प्रवासन और विस्थापन. 4. संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान – सम्मान, पहचान और संरक्षण. 5. नीति और शासन – अनुसूची V व VI का कार्यान्वयन और संस्थागत ढांचा.

चर्चा से समाने आये सुझाव

आदिवासी के साथ काम करने वाले संगठनों ने आदिवासी समुदाय के विकास के लिए किए जाने वाले ठोस पहल की वकालत की. जिसमें जनजातीय कार्य विभाग को जनजातीय समुदायों के लिए सभी विकास कार्यक्रमों का केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में कार्य करना, आदिवासी इलाके के विकास में सुधार के लिए आदिवासी आबादी वाले गांवों को पुनर्गठित और सुव्यवस्थित करना, पेसा, एफआरए, एसपीटी और सीटीए जैसे आदिवासी कानूनों को समझने में विभागीय अधिकारियों और नौकरशाहों की क्षमता का निर्माण करना, व्यक्तिगत-केंद्रित योजना से क्षेत्र-आधारित योजना जनजातीय समुदायों को उनकी व्यक्तिगत और सामूहिक संपत्ति और संसाधनों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर सशक्त बनाना शामिल है. वहीं समुदायों की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए अनुच्छेद 275(1) के तहत प्रावधानों के पुनर्गठन और समीक्षा करने के सुझाव दिये गये. संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने के लिए पेसा-सशक्त गांवों को सीधे धन आवंटन करना जैसे महत्पूर्ण सुझाव दिए. साथ ही पारंपरिक आदिवासी स्वाशासन प्रणालियों और नई पंचायती राज प्रणाली के बीच तालमेल को बढ़ावा देने की बात भी कही गयी. कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र जनजातीय कार्य टीम में शामिल एनडीपी, फिया फाउंडेशन और फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी की भागीदारी रही. परामर्श में करीब 100 प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इनमें नीति-निर्माता, शोधकर्ता, समाजसेवी और आदिवासी नेता शामिल थे. इसे भी पढ़ें – नये">https://lagatar.in/appointment-of-new-cec-congress-said-hastily-issued-notification-at-midnight-it-is-against-the-spirit-of-the-constitution/">नये

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