आदिम जनजाति बिरहोरों की मौत पर प्रशासन की भूमिका पर उठते रहे हैं गंभीर सवाल, जांच रिपोर्ट की अनुसंशा पर अब तक क्यों नहीं हुई कार्रवाई?
एनटीपीसी के चट्टी बरियातू कोल परियोजना को लेकर कंपनी और स्थानीय प्रसाशन की भूमिका को लेकर लगातार गंभीर सवाल खड़ा किए जाते रहे हैं. जिसमें मुख्य रूप से यह कि चट्टी बरियातू कोल खनन परियोजना के खनन स्थल के समीप आदिम जनजाति समुदाय के बिरहोर टोला निवासी नाबालिग किरणी बिरहोर और बहादुर उर्फ दुर्गा बिरहोर की मौत के मामले में सदर अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय जांच दल का रिपोर्ट उपायुक्त हज़ारीबाग़ को भेजा गया था. पांच सदस्यीय जांच दल ने रिपोर्ट में यह कहा है कि NTPC द्वारा खनन कार्य बिरहोर टोला, पगार से सटा हुआ क्षेत्र में किया जा रहा है. इस क्षेत्र में खनन एवं परिवहन का कार्य होने के कारण बहुत अधिक धूलकण हवा में विद्यमान हैं. जिससे प्रदूषण की गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है एवं पगार बिरहोर टोला के निवासियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. प्रदूषण के कारण स्वांस एवं अन्य बिमारियों की संभावना बना हुआ है. साथ ही साथ माईनिंग करने के लिए विस्फोट (Explosion) किया जाता है, जिसके कारण कोई भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है. इसके साथ जांच दल ने जांच रिपोर्ट के मंतव्य में यह लिखा था कि जब तक बिरहोर परिवारों का पगार बिरहोर टोला से अन्यत्र आवासित नहीं किया जाता है, तब तक बिरहोर टोला के आसपास माइनिंग का कार्य करना श्रेयस्कर नहीं है, कहा गया था. इससे लुप्तप्राय आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय की बस्ती पर गंभीर खतरे और जानबूझकर प्रशासनिक अनदेखी की पुष्टि होती है. साथ ही अब तक जांच दल के उक्त मंतव्य के बाद भी खनन कार्य कैसे जारी रखा गया है? इसके अलावे कोल परियोजना के लिए नियुक्त माइन डेवलपर और ऑपरेटर (MDO) Rithwik- AMR Consortium, के माध्यम से किए जा रहे खनन प्रकरण में स्थानीय प्रशासन, अंचलाधिकारी, थाना प्रभारी, जिला खनन भूमिका व आदिम जनजाति समुदाय की दो लोगों की मौत के बाद मौत के कारणों को छुपाने और अपनी जिम्मेवारी और दोषियों को बचाने के लिए जिस प्रकार अप्राकृतिक/संदेहास्पद मौत की स्तिथि में अनिवार्य पोस्टमार्टम के लिए under section 174(3) of the code of criminal proce,1973 (CRPC) के तहत नही कराया गया, उससे जिला प्रशासन की भूमिका स्पष्ट होती है. इसके अलावे पांच सदस्यीय टीम के मंतव्य पर कोई कार्रवाई नही करना जिला प्रसाशन का आरोपियों से मिलीभगत भी स्पष्ट होता दिखता है.खनन कार्य से पहले खान सुरक्षा नियमों की अवहेलना क्यों हुई? कोई बताने को तैयार नहीं?
यह कि चट्टी बरियातू परियोजना के खनन के दुष्प्रभाव से नाबालिक किरणी बिरहोर और बहादुर बिरहोर उर्फ दुर्गा बिरहोर की मौत पर जांच के संबंध में एसडीओ को अध्यक्षता वाली जांच रिपोर्ट में कहा गया है "सभी बिरहोर परिवार पास के जंगल में जाना चाहते है, लेकिन नोटिफाइड वनभूमि (वनाधिकार अधिनियम 2006) होने के कारण वन विभाग के FRA के तहत भूमि की उपलब्धता प्रक्रियाधीन है" जबकि उक्त परियोजना के लिए फॉरेस्ट क्लियरेंस के लिए वर्ष 2011 में उपायुक्त हजारीबाग के कार्यालय द्वारा जारी प्रमाण पत्र में वनाधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत settlement of Rights की प्रक्रिया पूर्ण कर लिए जाने की जानकारी बताई गई है. अब उन्हें बसाने की बात कही जा रही है तो सवाल उठता है कि वर्ष 2011 में वनाधिकार कानून के तहत सेटलमेंट की बात झूठ थी. उसी प्रकार खनन कार्य शुरू करने से पहले खान सुरक्षा का उल्लंघन कर खनन क्यों और कैसे होने दिया गया? पर्यावरण/प्रदूषण और विस्फोटक सुरक्षा मानकों का भी उल्लंघन किया गया था.बिरहोर बस्ती के आग्रह को किया गया दरकिनार, किसी ने नहीं सुनी
पगार बिरहोर बस्ती के आदिम जनजाति बिरहोर टोला के लोगों ने खनन की शुरुवात से पूर्व संभावित खतरे और नुकसान को देखते हुए दिनांक 22 अप्रैल 2022 को स्थानीय जिला प्रशासन के साथ मुख्यमंत्री झारखण्ड सरकार को उन्हें अन्यत्र बसा कर खनन शुरू करने का मांग किया था, तो उस पर सुनवाई या कार्रवाई क्यों नहीं हुआ? क्यों आदिम जनजाति समुदाय के बिरहोर लोगों की मांग को अनसुना कर उनकी सामूहिक जान को खतरे में डालकर, उनकी चिंता किए वगैर स्थानीय प्रशासन ने खनन कार्य क्यों शुरू होने दिया गया. इसके अलावे खनन के दुष्प्रभाव से किरणी बिरहोर और दुर्गा उर्फ बहादुर बिरहोर की मौत पर खनन एजेंसियों द्वारा किस आधार पर 40 हजार मुआवजा दिया गया. पूरे प्रकरण के पीछे की कहानी यह बताया जाता है कि कोयला मंत्रालय द्वारा समय और लक्ष्य के मुताबिक चट्टी बरियातू कोयला परियोजना से उत्पादन, खनन और परिवहन में विलंब के लिए बैंक गारंटी का तीस प्रतिशत जब्त कर लिया गया था. इसलिए जिला प्रसाशन से मिलीभगत कर प्रयोक्ता एजेंसी द्वारा आनन-फानन में आदिम जनजाति समुदाय पर खतरों को दरकिनार कर खनन कार्य चालू किया गया था. इसे भी पढ़ें – पीएम">https://lagatar.in/pm-modi-distributed-65-lakh-ownership-property-cards-in-10-states-and-2-union-territories/">पीएमने 10 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 65 लाख स्वामित्व संपत्ति कार्ड बांटे, कहा, संपत्ति का अधिकार भी बड़ी चुनौती हर खबर के लिए हमें फॉलो करें Whatsapp Channel: https://whatsapp.com/channel/0029VaAT9Km9RZAcTkCtgN3q">https://whatsapp.com/channel/0029VaAT9Km9RZAcTkCtgN3q">https://whatsapp.com/channel/0029VaAT9Km9RZAcTkCtgN3q
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