जतरा महोत्सव जनजातीय समुदायों की पहचान हैः नीलम
नीलम ने कहा कि यह महोत्सव आदिवासी संस्कृति, परंपराओं और आपसी प्रेम का का अनुठा संगम होगा. ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, असम समेत अन्य राज्यों से भी खोड़हा जतरा में शामिल होंगे. राज्य के बाहर की संस्कृति भी इस जतरा में दिखने को मिलेगी. इसके साथ ही विभिन्न आदिवासी संगठन एक मंच पर दिखेगा. यहां से राज्य की कला संस्कृति, परंपरा को जोडने का प्रयास होगा. एक दूसरे से मिल सकेंगे. राष्ट्रीय जतरा महोत्सव हमारी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को सहेजने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है. यह जनजातीय समुदायों की पहचान है. उनकी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करता है. इसे भी पढ़ें – महाकुंभ">https://lagatar.in/vhps-conference-starts-today-in-maha-kumbh-discussion-will-be-held-on-wakf-sanatan-board-kashi-mathura-and-places-of-worship-act-1991/">महाकुंभमें आज से विहिप का सम्मेलन, वक्फ-सनातन बोर्ड, काशी-मथुरा सहित प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट,1991 पर होगा मंथन हर खबर के लिए हमें फॉलो करें Whatsapp Channel: https://whatsapp.com/channel/0029VaAT9Km9RZAcTkCtgN3q
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