New Delhi : नाटो प्रमुख मार्क रूटे की भारत को धमकाने(रूसी तेल ख़रीद मामला) वाली टिप्पणी पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने इस विषय पर रिपोर्ट देखी हैं. घटनाक्रम पर हमारी पैनी नज़र हैं.
#WATCH | Delhi | On Nato chief Mark Rutte's comment that countries buying Russian oil could face secondary sanctions, MEA spokesperson Randhir Jaiswal says, "We have seen reports on the subject and are closely following the developments. Let me reiterate that securing the energy… pic.twitter.com/SdhmWRQYLL
— ANI (@ANI) July 17, 2025
रणधीर जायसवाल ने कहा कि मैं दोहराना चाहता हूँ कि हमारे लोगों की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. हम बाज़ार में उपलब्ध संसाधनों और मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों से निर्देशित होते हैं हम इस मामले में किसी भी दोहरे मापदंड के प्रति विशेष रूप से आगाह करते हैं.
रूटे की इस धमकी को विशेषज्ञ अनुचित करार देते हैं. यह नाटो के अधिकार क्षेत्र से बाहर है, नाटो एक सैनिक संगठन है, रूटे का यह बयान ट्रंप के बयान के एक दिन बाद ही आया है, इसलिए इसे ग्लोबल साउथ यानी विकासशील देशों पर दबाव बनाने की कोशिश भी माना जा रहा है.
जानकारों का कहना है कि रूटे का बयान नैतिक रूप से गलत है क्योंकि खुद नाटो के सदस्य देश रूस से कच्चा तेल और गैस खरीद रहे हैं.
दरअसल वर्ष 2022 में यूक्रेन पर रूसी के हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाये हैं. दिलचस्प बात यह है कि यूरोपियन यूनियन की रूस के प्राकृतिक गैस पर निर्भरता काफी अधिक है, इसलिए रूसी गैस पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया.
दरअसल नाटो प्रमुख मार्क रूट ने कल भारत, चीन और ब्राजील को साफ शब्दों में चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने रूस से तेल और गैस खरीदना जारी रखा, तो उन पर अमेरिका की तरफ से कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाये जा सकते हैं.
मार्क रूटे ने कहा कि इन देशों को पुतिन पर दबाव डालना चाहिए, ताकि वह यूक्रेन के साथ शांति की बात करें. नहीं तो इसका सीधा असर भारत, चीन और ब्राजील की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है. रशिया न्यूज के अनुसार, मार्क रूटे ने अमेरिकी सीनेटरों के साथ एक बैठक में भारत. चीन ब्राजील को चेताया.
मार्क रूटे ने कहा कि चीन के राष्ट्रपति हैं, या भारत के प्रधानमंत्री हैं, या ब्राजील के राष्ट्रपति हैं. फिर भी रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं और उनका तेल व गैस खरीद रहे हैं, तो जान लीजिए कि अगर मॉस्को में बैठा वह व्यक्ति शांति वार्ता को गंभीरता से नहीं लेता, तो आप पर 100 फीसदी सेकेंडरी सैंक्शंस लगाये जायेंगे, जो आप पर बहुत भारी पड़ सकता है.