- राज्य स्तरीय कार्यशाला
हमें अपनी जड़ों और इतिहास की ओर लौटना होगा
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रो सिद्धार्थ जायसवाल ने कहा कि हमें अपनी जड़ों और इतिहास की ओर लौटना होगा. अब हम खेती के अपने प्राचीन तरीकों के पीछे वैज्ञानिक तर्क ढूंढ पायेंगे. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सीएसओ को क्षेत्र से सीखी गई बातों के बारे में शोध पत्र तैयार करने के लिए अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी करने की जरूरत है. फिया फाउंडेशन के हस्तक्षेप क्षेत्र ठेठईटांगर और रनिया ब्लॉक के चार किसानों ने जिसमें जेरोम टोपनो, अरविंद टोप्पो, दयाल कंडुलना और निकोलस कंडुलना ने प्राकृतिक खेती को अपनाने के अपने सकारात्मक अनुभव और चुनौतियों को साझा किया. उन्होंने इस बारे में बात की कि कैसे प्राकृतिक खेती को अपनाने की शुरुआती झिझक के बाद आखिरकार इसके परिणाम मिले और अब समुदाय के अन्य लोग भी धान की खेती की एसआरआई पद्धति सीखने में रुचि दिखा रहे हैं. कार्यशाला में नागरिक समाज के प्रतिनिधियों, कृषि विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों ने भाग लिया.कार्यशाला की चर्चा से निकले मुख्य बिंदु
- राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु नगर समाज, पंचायत एवं राज्य सरकार को एक प्लेटफॉर्म पर बैठकर समग्र नीति एवं कार्यप्रणाली बनानी होगी.
- कृषकों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिले, इस हेतु राज्य सरकार को विशेष पहल करनी होगी.
- नगर समाज द्वारा किए गए प्राकृतिक खेती के प्रयासों को शिक्षण/ शोध संस्थानों के साथ रिसर्च पेपर प्रकाशित करना होगा, जिससे की उनके कार्यों को प्रामाणिकता मिले.
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