Saurav Singh
Ranchi : लगातार ऐसी खबररें आ रही हैं कि नक्सलियों का अपने संगठन से मोहभंग हो रहा है. तभी तो इस वर्ष अब तक आठ इनामी नक्सली सहित 16 नक्सली संगठन छोड़कर भाग चुके हैं. गौरतलब है कि नक्सली संगठनों में भी नये बदलाव आने लगे हैं. जिसे नक्सलियों का उनके संगठन से मोह भंग होने लगा है. इस वजह से इस वर्ष अबतक आठ इनामी नक्सली सहित 16 नक्सली संगठन छोड़कर भाग गये.
इन 16 नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया. संगठन छोड़कर सरेंडर करने वाले नक्सलियों में पांच नक्सलियों पर पांच लाख का इनाम था. जबकि दो नक्सलियों पर दो लाख का इनाम और एक नक्सली पर एक लाख का इनाम था. इसके अलावा आठ नक्सलियों पर कोई इनाम नहीं था.
संगठन छोड़ कर भागे आठ इनामी सहित 16 नक्सली
20 जनवरी : दो इनामी भाकपा माओवादियों ने सिमडेगा में सरेंडर किया था. इनमें पांच लाख का इनामी सब जोनल कमांडर विनोद पंडित ऊर्फ विनोद दास और दो लाख इनामी एरिया कमांडर गणेश लोहरा शामिल था.
23 जनवरी: आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर झारखंड के लातेहार जिला में आतंक का पर्याय बने टीपीसी के सब जोनल कमांडर वासुदेव गंझू ने रांची पुलिस के समक्ष अपने हथियार डाल दिये थे. वासुदेव पर 5 लाख का इनाम था.
24 जनवरी: दुमका में भाकपा माओवादी संगठन के तीन हार्डकोर नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. सरेंडर करने वाले नक्सलियों में एक लाख का इनामी छोटा श्यामलाल, पांच लाख इनामी रिमिल दा और राजेंद्र देहरी शामिल थे.
16 अप्रैल: झारखंड के उग्रवाद प्रभावित जिला लोहरदगा में भाकपा माओवादी के सब जोनल कमांडर रामजीत नगेशिया उर्फ रामू ने सरेंडर कर दिया था.
4 जून: भाकपा माओवादी संगठन के दो लाख के इनामी एरिया कमांडर राकेश मुंडा उर्फ सुखराम मुंडा और संगठन में दस्ता की सदस्य चांदनी उर्फ बुधनी सरदार ने सरायकेला खरसावां पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया था.
9 जुलाई: पुलिस के दबाव में आये पीएलएफआइ उग्रवादी मुकेश बड़ाइक ने गुमला कोर्ट में आत्म समर्पण कर दिया था.
13 जुलाई: जमशेदपुर में नक्सली गतिविधियों में सक्रिय रहे डुमरिया एरिया कमांडर सोबन मार्डी और उसकी पत्नी उर्मिला मेलगांडी ने जमशेदपुर न्यायिक दंडाधिकारी प्रज्ञा वाजपेयी की कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था.
12 अक्टूबर: पांच लाख का इनामी हार्डकोर नक्सली बोयदा पाहन ने रांची पुलिस लाइन में अपने तीन साथी नक्सलियों के साथ डीआईजी और डीसी के समक्ष हथियार के साथ आत्मसमर्पण कर दिया.
आकर्षक सरेंडर नीति के कारण कई बड़े नक्सलियों ने किया था सरेंडर
झारखंड सरकार नक्सलवाद के खात्मे के लिए कई साल से प्रयास कर रही है. राज्य से नक्सलवाद को मिटाने के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने सरेंडर पॉलिसी बनायी थी. सरकार की आकर्षक सरेंडर नीति के कारण कई बड़े नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया था. जिन लोगों ने सरेंडर नहीं किया, उनमें से बहुत से नक्सलियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया और कई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. पुलिस और प्रशासन मिलकर नक्सलियों से परिवार से संपर्क कर रही है.
पुलिस उनसे अपील कर रही है, कि वे अपने भटके हुए परिजनों को मुख्यधारा में शामिल करने में प्रशासन की मदद करें. इसका भी लाभ उन्हें मिल रहा है. बता दें कि नक्सलियों के सफाये के लिए प्रदेश के उग्रवाद प्रभावित जिलों में लगातार नक्सल विरोधी अभियान चलाये जा रहे हैं. इस दौरान पुलिस के साथ मुठभेड़ में काफी संख्या में नक्सली मारे गये हैं.
प्रदेश में सक्रिय नक्सलियों और उनके ठिकानों को नष्ट करने के लिए सुरक्षा बलों के जवानों के साथ मिलकर राज्य की पुलिस जंगलों से लेकर शहर तक लगातार दबिश दे रही है. इससे घबराकर भी कई नक्सली सरेंडर कर रहे हैं.