Search

Advertisement

रिंग रोड के पास, थाने से 200 मीटर दूर, सड़क पर दर्जनों वाहन, अंदर शराब पीते लोग और खालसा ढ़ाबा

Lagatar Desk Ranchi : रांची रिंग रोड पर अवैध शराबखाना की पड़ताल के दौरान हमने एक ऐसा होटल भी देखा, जिसके बारे में शहर के तमाम लोग जानते हैं. जो रिंग रोड के पास है, बीआईटी थाना से करीब 200 मीटर की दूरी पर है, शाम ढ़लते ही सड़क पर दर्जन भर से अधिक कार-बाईक मिल जाएंगे, पास ही में शराब की दुकान है और होटल के भीतर अवैध शराबखाना. उस होटल का नाम है खालसा ढ़ाबा. इस ढ़ाबे का ताकत मशहूर होने लगी है. करीब 10 दिन पहले की घटना है. शाम के करीब 7.00 बजे उत्पाद विभाग की टीम ने इस होटल में छापेमारी की. दर्जनों लोग होटल के भीतर शराब पीते मिले. उत्पाद विभाग की टीम ने कार्रवाई की. शराब की बोतलें जब्त करनी शुरु कर दी. केस करने की बात करने लगे. 
उत्पाद विभाग की कार्रवाई चल ही रही थी, तभी छापेमारी करने गए अधिकारी को एक कॉल आता है और उत्पाद विभाग की टीम सहम जाती है. उत्पाद विभाग की टीम बिना कोई कार्रवाई किए बैरंग वापस लौट जाती है. 
अब तक आपने पढ़ा
||">https://lagatar.in/ring-roads-kanha-highway-kitchen-makes-bill-without-gst/">

GST लिए बिना बिल बनाता है रिंग रोड का कान्हा हाइवे किचन || 
|| रांची">https://lagatar.in/ranchi-ring-road-pay-200-400-rupees-bring-a-bottle-and-drink-to-your-hearts-content/">रांची

रिंग रोडः 200-400 रुपया दो, बोतल लाओ – छक कर पीओ || 
|| रांची">https://lagatar.in/ranchi-ring-road-line-of-vehicles-in-front-of-every-hotel-and-illegal-bar-behind/">रांची

रिंग रोडः हर होटल के आगे वाहनों की कतार और पीछे हाता ||
|| रांची">https://lagatar.in/ranchi-ring-road-hotel-restaurant-owners-are-happy-bar-owners-are-distressed/">रांची

रिंग रोडः शराबखाना बने होटल-रेस्टूरेंट वाले मस्त, बार वाले त्रस्त ||
भलें ही यह होटल थाना से 200 मीटर की दूरी पर ही है, पुलिस की गश्ती दल भी वहां से गुजरती है, लेकिन पुलिस का रवैया भी ऐसा है, जैसे की वह किसी जरूरी काम में व्यस्त रह रहा हो. 

यह सब इतनी तेजी से हुआ कि वहां शराब पी रहे लोगों में एक बार फिर से विश्वास जग गया कि वहां कार्रवाई नहीं हो सकती. थोड़ी पड़ताल करने पर पता चला माननीय के सुपुत्र जी का फोन आने के बाद उत्पाद विभाग की टीम लौट गई.

रिंग रोड और इसके आसपास के हालात को समझिए. अगर किसी ने शराब पिलाने की लाईसेंस ले रखी है, तो सरकार को प्रति माह 3.60 हजार रुपये फीस देने के बाद उसे महीने में कोटा के हिसाब से ब्रांड की बोतलें मिलेगी. विदेशी शराब तो 4-5 बोतल ही मिल जाए तो बहुत है. 
अगर बात रिंग रोड के आसपास के होटलों की करें, तो उनपर कोई कानून लागू नहीं होता. कई होटलों-ढ़ाबों व रेस्टूरेंट के मालिक दुकान से जितना मन उतनी शराब की बोतले खरीदते हैं और कस्टमर को ज्यादा कीमत लेकर अपने परिसर में ही पिलाते हैं. कस्टमर खुद का बोतल लेकर पहुंचा तो प्रति टेबल 200-400 रुपये की फीस लेते हैं. 
बात सिर्फ खालसा होटल की नहीं है. खालसा होटल तो लंबे समय से चर्चित है. रिंग रोड और इसके आसपास की शायद ही कोई होटल, रेस्टूरेंट या ढ़ाबा मिल जाए, जहां शराब नहीं बिकती या नहीं पी जाती है. पुलिस, प्रशासन व उत्पाद विभाग के अधिकारी खामोशी से सब देखते रहते हैं. उनकी चुप्पी की वजह क्या है, यह समझना ज्यादा मुश्किल नहीं.