Ranchi : झारखंड में शराब दुकानों के निजीकरण के बाद राजधानी रांची में शराब की दुकानों की तस्वीर पूरी तरह बदलती नजर आ रही है. अब ये दुकानें सिर्फ शराब बेचने की जगह नहीं रहीं, बल्कि इनका लुक और नाम लोगों को आकर्षित करने लगे हैं.
प्यासा, बॉटम्स अप, द ड्रिंक स्टोरी, हाई स्पिरिट्स, सोम रस जैसे नाम अब आम हो चले हैं, और इनकी सजावट किसी हाई-एंड कैफे या बार जैसी दिखाई देती है.
पुराने समय की साधारण और भीड़भाड़ वाली दुकानों की जगह अब एसी से सुसज्जित, कांच की दीवारों वाली, neatly arranged शेल्फ और लाइटिंग से जगमगाती शराब की दुकानें खुल रही हैं.
दुकानों के नाम अब पारंपरिक देशी शराब भंडार या अंग्रेजी शराब की दुकान जैसे नहीं हैं. निजी दुकानदार ब्रांडिंग को लेकर सजग हुए हैं. अब नाम ऐसे रखे जा रहे हैं जो युवा वर्ग को आकर्षित करें. Bottoms Up, Pyassa, जैसे नाम शहर की चर्चा का विषय बने हुए हैं.
शराब खरीदने आए एक ग्राहक, अमन वर्मा ने कहा, पहले शराब खरीदना एक अजीब अनुभव होता था, भीड़, धक्का-मुक्की और अव्यवस्था. अब लगता है जैसे किसी मॉल से कुछ खरीद रहे हों. माहौल साफ-सुथरा और प्रोफेशनल हो गया है.
राज्य सरकार द्वारा शराब की दुकानों का संचालन निजी कंपनियों को सौंपने के फैसले के बाद जहां सरकारी राजस्व में इजाफा हुआ है. वहीं व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा के चलते दुकानें बेहतर ग्राहक अनुभव देने की होड़ में लगी हैं.
शराब दुकानों के निजीकरण ने रांची की शराब बिक्री की दुनिया को एक नया चेहरा दिया है. नाम से लेकर इंटीरियर तक, हर चीज अब एक सोच-समझकर बनाई गई ब्रांडिंग रणनीति का हिस्सा लगती है.
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