NewDelhi : भारत में कोरोना की सुनामी कम नहीं हो रही है, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले 24 घंटे में कोरोना के जार लाख से भी ज्यादा मामले सामने आये हैं. 3523 मरीजों की मौत हो चुकी है. कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण अस्पतालों और श्मशानों में जगह नहीं बची है. यहां तक कि पार्किंग एरिया में भी शव जलाये जा रहे हैं. बता दें कि इंटरनेशनल मीडिया की रिपोर्टों में भारत में मौजूदा कोरोना संकट को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को दोषी करार दिया जा रहा है. विदेशी मीडिया में सामूहिक दाह संस्कारों की तस्वीरें छायी हुई हैं.
चुनावी रैलियां और कुंभ मेले का आयोजन करना गलत फैसला था
इन रिपोर्टों में कहा गया है कि संभावित कोरोना संकट के बीच चुनावी रैलियां और कुंभ मेले का आयोजन करना गलत फैसला था. अमेरिका की टाइम मैगजीन में How Modi Failed Us शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई है, जिसे भारतीय पत्रकार राणा अयूब ने लिखा है. इसमें कहा गया है कि भारत की मजबूत सरकार ने चीजों को नजरअंदाज किया. टाइम मैगजीन की रिपोर्ट में कोरोना की दूसरी लहर से निपटने की तैयारियों में कमी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया है. रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री ने कुंभ में ‘सांकेतिक’ तरीके से शामिल होने की अपील करने में देर कर दी. हजारों की संख्या में लोगों ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया लेकिन देश के बड़े राजनेता चुनावी रैलियों में व्यस्त रहे.
न्यूयॉर्क टाइम्स और ब्रिटेन के न्यूजपेपर द गार्जियन ने भी रिपोर्ट प्रकाशित की
द टाइम मैगजीन की तरह ही पूर्व में अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स और ब्रिटेन के न्यूजपेपर द गार्जियन ने भी रिपोर्ट प्रकाशित की. न्यूयॉर्क टाइम्स ने “As Covid-19 Devastates India, Deaths Go Undercounted” हेडिंग से पिछले सप्ताह प्रकाशित रिपोर्ट में लिखा गया है कि जब कोरोना से भारत में तबाही मची हुई थी, उस दौरान मौतों की संख्या को कम बताया जा रहा था. रिपोर्ट में कहा गया कि श्मशान घाट के अधिकारी संक्रमितों की मौतों की वजह कोरोना के बजाय बीमारी’ बता रहे हैं. सरकार कथित तौर पर आंकड़े घटाकर पेश कर रही है.
अरुंधती रॉय ने लिखा, हम मानवता के खिलाफ एक अपराध होते देख रहे हैं
द गार्जियन में “India’s Covid Catastrophe शीर्षक से लेख प्रकाशित हुआ है. इसमें सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधती रॉय ने लिखा कि हम मानवता के खिलाफ एक अपराध होते देख रहे हैं. इस लेख में उन्होंने भारत में कोरोना के आंकड़ों की तुलना अहमदाबाद की उस दीवार से की जो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गुजरात यात्रा के दौरान तैयार की गयी थी.
इसी अखबार में पिछले सप्ताह प्रकाशित संपादकीय में कोरोना की दूसरी लहर के लिए सरकार के अति-आत्मविश्वास को जिम्मेदार बताया गया था. द ऑस्ट्रेलियन’ में छपे एक लेख में कहा गया है कि कैसे अहंकार, अति-राष्ट्रवाद और नौकरशाही की अयोग्यता ने भारत में कैसे कोरोना संकट खड़ा कर दिया. इस सबके बीच भीड़ के बीच रहना पसंद करने वाले प्रधानमंत्री अपने में मस्त रहे और नागरिकों का दम घुटता रहा. ‘द ऑस्ट्रेलियन’ में छपी इस रिपोर्ट को लेकर कैनबरा स्थित भारतीय दूतावास ने कड़ा ऐतराज भी जताया था.