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नौ दिन एनजीटी की रोक हटेगी, फिर भी गहराया रहेगा बालू का संकट

Ranchi: झारखंड में बालू उठाव पर लगी रोक 15 अक्तूबर के बाद से हट जाएगी. रोक हटने के बावजूद प्रदेश में बालू का संकट बना रहेगा. इसकी वजह यह है कि अब तक 444 बालू घाटों में से 328 बालू घाटों के माइनिंग प्लान को मंजूरी नहीं मिल पायी है. वहीं 400 से अधिक बालू घाटों को पर्यावरण स्वीकृति भी नहीं मिल पाई है. नियमतः बिना माइनिंग प्लान मंजूर किए और पर्यावरण स्वीकृति के बिना बालू का उठाव नहीं हो सकता है. इसे भी पढ़ें -बेगूसराय:">https://lagatar.in/orchestra-dancer-murdered-by-slitting-his-throat/">बेगूसराय:

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कैसे मिलती है पर्यावरण स्वीकृति

पर्यावरण स्वीकृति लेने से पहले ग्रामसभा से माइनिंग प्लान की मंजूरी लेनी पड़ती है. इसके बाद सिया के पास पर्यावरण स्वीकृति के लिए आवेदन देना होता है. पर्यावरण स्वीकृति मिलने के बाद बालू घाट से बालू उठाव के लिए कंसर्ट टू ऑपरेट (सीटीओ) मिलता है. अब तक सिर्फ 35 बालू घाटों को ही पर्यावरण स्वीकृति मिल पाई है. वहीं कटेगरी टू के बालू घाटों के लिए 256 एमडीओ चयनित किया गया है. 148 एमडीओ के साथ इकरारनामा की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है.

अब तक क्या हुई है बालू घाटों को देने की प्रगति

• 444 बालू घाटों में से 130 एमडीओ (माइंस डेवलपर ऑपरेटर) की हो चुकी है नियुक्ति • 41 बालू घाटों का मामला है लंबित • 242 एमडीओ के चयन की प्रक्रिया कर ली गई है पूरी • 116 बालू घाटों के माइनिंग प्लान कर लिए गए हैं मंजूर • 75 बालू घाटों का माइनिंग प्लान डीएमओ के पास मंजूरी के लिए है पड़ा इसे भी पढ़ें -16">https://lagatar.in/5-naxalites-including-zonal-commander-ranthu-oraon-arrested/">16

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