NewDelhi : एनआईए ने अडानी समूह (गुजरात) के मुंद्रा पोर्ट से जब्त 2,988 किलो हेरोइन के सिलसिले में शनिवार को कई राज्यों में रेड की. हाल ही में यह केस गृह मंत्रालय के आदेश के बाद एनआईए को सौंप दिया गया है, खबर है कि एनआईए ने एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है, भारत में यह सबसे बड़ी ड्रग्स बरामदगी बतायी जाती है. इस मामले की अभी तक जांच नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और DRI कर रही थी. बता दें कि इस मामले में ईडी भी जांच कर रही है. थोड़ा पीछे जायें तो 13 सितंबर को केंद्र सरकार की एजेंसी ने मुंद्रा बंदरगाह पर टेल्कम पाउडर के नाम से आयातित की गयी लगभग 21 हजार करोड़ रुपये कीमत की 2,988 किलो हेरोइन बरामद की थी.
मुंद्रा पोर्ट के संचालन का काम अडाणी समूह करता है, बुधवार को जारी गृह मंत्रालय के एक आदेश के अनुसार एजेंसी ने मचावरम सुधाकरन, दुर्गा पीवी गोविंदराजू, राजकुमार पी और अन्य के खिलाफ आईपीसी, एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामले की जांच शुरू कर दी थी. एजेंसी अब इस मामले के सूत्रधारों की तलाश कर रही है. कहा जा रहा है कि इसके पीछे एक बड़ा नेटवर्क शामिल है.
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इसमें विदेशी नागरिकों की संलिप्तता
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार एनआईए अधिकारियों का कहना है कि इसमें विदेशी नागरिकों की संलिप्तता नजर आ रही है, इतनी बड़ी खेप के पीछे बहुत सारे दिमागों का खेल है. कहा कि ये लोग देश भर में फैले हुए हैं. ड्रग्स अफगानिस्तान से भेजा गया था. यह बांदर अब्बास पोर्ट के जरिये भारत पहुंची था. एएनआई ने टैल्क स्टोन के नाम पर ड्रग्स आयात करने के आरोपियों के चेन्नई, कोयंबटूर और विजयवाड़ा स्थित परिसरों की तलाशी ली है. तलाशी के दौरान अपराध में संलिप्तता के संकेत करने वाले दस्तावेज और अन्य वस्तुएं जब्त की गयी. जांच तेज कर दी गयी है. सूत्रों के अनुसार एनआईए का दावा है कि आने वाले दिनों में गुजरात, दिल्ली समेत कई और राज्यों में कार्रवाई होगी.
कोई भी पोर्ट ऑपरेटर कंटेनर की जांच नहीं कर सकता
इससे पूर्व अडानी समूह का बयान सामने आया था, जिसमें कहा गया था कि हेरोइन के कंटेनर मुंद्रा बंदरगाह पर डीपी वर्ल्ड टर्मिनल पर पहुंचे थे. हम अवैध ड्रग्स को जब्त करने और आरोपियों को पकड़ने के लिए डीआरआई और सीमा शुल्क विभाग की टीमों को धन्यवाद देते हैं. कानून भारत सरकार के सीमा शुल्क और डीआरआई के सक्षम अधिकारियों को गैरकानूनी कार्गो को खोलने, जांच करने और जब्त करने का अधिकार देता है. देश भर में कोई भी पोर्ट ऑपरेटर कंटेनर की जांच नहीं कर सकता है. उनकी भूमिका बंदरगाह चलाने तक सीमित है. सीमित अधिकारों के कारण संचालकों के हाथ बंधे हैं.