Ranchi : शहर की चकाचौंध के बीच एक कोना ऐसा भी है, जहां जिंदगी की रातें प्लास्टिक के बोरे पर कट रही हैं. रातु रोड दुर्गा मंदिर के सामने और ऐलिवेटेड कॉरिडोर के नीचे दर्जनों गरीब परिवारों ने अपना ठिकाना बना रखा है.फूल पौधों के लिए गार्डेन वॉल बनाए गए हैं. लेकिन उनपर टंगे पुराने बिस्तर, फटे गमछे दिखाई देते हैं. जो रात होते ही वहां पर बिछे हुए नजर आते हैं. लोहे के अंदर बंधी चादरें इनका एकमात्र सहारा बन चुका है. इन्हीं के सहारे ये लोग रात गुजारते हैं.
सब पढ़े सब बढ़े के लिए बन रहा है चुनौती
यहां छोटे-छोटे बच्चे भी हैं, जिनके खेलने की उम्र है. लेकिन इन्हें खेल का मैदान नहीं, बल्कि धूलभरी सड़क के बीच ही रहना पड़ रहा है. इन बच्चों के सपनों का तकिया प्लास्टिक का बोरा बन रहा है. हर कोई सोने के लिए अपने हिस्से की जगह को गमछा या चादर से घेर लेता है. ताकि कोई दूसरे लोग वहां कब्जा न कर लें.
दूसरों के दान से बन रहा है निवाला
मंदिर में पूजा-पाठ के दौरान मिलने वाला प्रसाद ही कई बार दिन में इनका पहला निवाला बन जाता है. कभी-कभी कोई भला इंसान रात में रोटी, ब्रेड, बिस्कुट या चाय देकर चला जाता है. यही दान में मिले भोजन इनके पेट की आग बुझा रहे हैं.
सडक के बीच में बने गार्डेन वॉल में कट रही है जिंदगी
एलिवेडेट कॉरिडोर के नीचे और दोनों सड़कों के बीच में गार्डेनवॉल बनाया गया है. तेज बारिश होने पर पानी की झटास भी पड़ती है. दिन रात गाड़ियां चलती रहती हैं. मंदिर की घंटियों के बीच, ये परिवार अपने बोरे और बिस्तरों में सिमटकर सो जाते हैं. इनकी जिंदगी में ना पक्की छत है, ना सुरक्षित दीवारें हैं. इन्हें सिर्फ उम्मीद है कि शायद कल कोई बदलाव लेकर आएगा.
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