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निक्की हेली ने की भारत विरोधी बयानों की आलोचना, ट्रंप को रिश्ते ना बिगाड़ने की दी सलाह

Lagatar Desk :    अमेरिका और भारत के बीच व्यापार और तेल आयात को लेकर तनातनी बढ़ती जा रही है. इस बीच रिपब्लिकन पार्टी की भारतवंशी नेता और अमेरिका की पूर्व संयुक्त राष्ट्र राजदूत निक्की हेली ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत विरोधी बयानों की आलोचना की है.

 

निक्की हेली ने अमेरिका को सलाह दी है कि उसे भारत जैसे मजबूत सहयोगी देश के साथ अपने संबंध खराब नहीं करने चाहिए.  उन्होंने यह भी कहा कि भारत को रूस से तेल नहीं खरीदना चाहिए. साथ ही उन्होंने ट्रंप को चेताया कि चीन जैसे विरोधी देश को किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी जानी चाहिए.

 

भारत को रूस से तेल ना खरीदने की सलाह 

दरअसल निक्की हेली ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि भारत को रूस से तेल खरीदना बंद करना चाहिए. लेकिन उन्होंने इस बात पर नाराजगी जताई कि चीन को 90 दिनों के लिए टैरिफ में छूट दी गई है. जबकि वह अमेरिका का प्रतिद्वंद्वी है और सबसे ज्यादा रूसी और ईरानी तेल खरीदता है. उन्होंने दो टूक कहा कि चीन को कोई छूट नहीं मिलनी चाहिए और भारत जैसे मजबूत साझेदार के साथ अमेरिका को अपने रिश्ते खराब नहीं करने चाहिए.

 

25% टैरिफ 1 अगस्त से नहीं, 7 अगस्त से लागू होगा 

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत समेत कई देशों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी. जो 1 अगस्त से लागू होने वाली थी. लेकिन ट्रंप ने सभी देशों को एक सप्ताह की राहत दी है. अब 7 अगस्त 2025 से टैरिफ प्रभावी होगा. 

 

ट्रंप का कहना है कि यह टैरिफ भारत सहित उन देशों पर लगाया जा रहा है, जो अमेरिका के साथ व्यापारिक संतुलन नहीं बना पा रहे हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत रूस से तेल और रक्षा उत्पाद खरीद रहा है, जो अमेरिका की रणनीतिक नीतियों के खिलाफ है, इसलिए भारत पर अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया जाएगा. 

 

ट्रंप के इस फैसले पर केंद्र सरकार ने सीधी तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि कहा है कि देशहित में हर संभावित कदम उठाया जाएगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि भारत इस मुद्दे को बातचीत की मेज पर सुलझाने की कोशिश करेगा. 

 

इस विवाद के बीच अमेरिका और चीन के बीच 90 दिनों का टैरिफ विराम समझौता हुआ है, जिसमें दोनों देशों ने आयात शुल्क में भारी कटौती की है. इससे चीन को बड़ी राहत मिली है, लेकिन भारत पर दबाव बढ़ता जा रहा है. 

 

इन कारणों से अमेरिका भारत पर बना रहा दबाव 

अमेरिका लगातार भारत से अपने कृषि और डेयरी उत्पादों, विशेष रूप से जेनेटिकली मोडिफाइड (GM) फसलें और नॉन-वेज मिल्क के लिए बाजार खोलने की मांग कर रहा है. अमेरिका चाहता है कि भारत इन पर लगाए गए ऊंचे टैरिफ को या तो समाप्त करे या कम करे.

 

लेकिन भारत का रुख साफ है कि इन मांगों को स्वीकार करना संभव नहीं है. क्योंकि इसका सीधा असर देश के छोटे किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. सांस्कृतिक स्तर पर भी भारत अमेरिका के प्रस्तावों से असहमत है. खासकर उस दूध को लेकर जो मांसाहारी चारा खाने वाले मवेशियों से प्राप्त होता है. 

 

भारत ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि अगर ऐसा दूध अमेरिका से आयात होता है, तो उस पर स्पष्ट लेबलिंग होनी चाहिए कि यह शाकाहारी चारा खाने वाले जानवरों से प्राप्त नहीं है. भारत का मानना है कि उपभोक्ता को यह जानने का अधिकार है कि वह क्या खरीद रहा है और भारतीय सांस्कृतिक भावनाओं का सम्मान भी जरूरी है. 

 


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