50 रुपये बोरी मंडी में हो जाता है 16 हजार रुपये टन
गरीब लोग अपने पेट की आग बुझाने के लिए मौत के मुहाने में घुसकर एक बोरी कोयला लाते हैं तो कोयला तस्कर उन्हें ₹50 रुपये देता है, परंतु वही संगठित कोयला तस्करों द्वारा जब मंडियों में भेजा जाता है तो 16 हजार रुपये टन भेजते हैं. इस कारोबार में मरते गरीब मजदूर हैं परंतु मालामाल सफेदपोश लोग होते हैं. राज्य में राष्ट्रीय संपत्ति की लूट में राज्य के आला प्रशासनिक अधिकारियों की सीधी मिलीभगत है. इससे फायदे का हिस्सा राजनेताओं, संबंधित कंपनी के प्रबंधक, सीआईएसएफ सभी को मिलता है. जब उनसे पूछा गया कि निजी कोयला कंपनियों से एक छटाक भी कोयला चोरी क्यों नहीं होता, तो उन्होंने जवाब दिया कि वहां प्रबंधन एवं सुरक्षा का दायित्व निभाने वाले पर जिम्मेवारी तय रहती है. परंतु यहां प्रबंधन, ईसीएल की सिक्योरिटी एवं सीआईएसएफ स्वयं स्वयं चोरी कराते हैं. उन्होंने कहा कि अवैध खनन में मृतकों के परिजनों को मुआवजे की मांग को लेकर शुक्रवार को वह राज्य के मुख्यमंत्री से मिलकर बात करेंगे. मौके पर घटवार आदिवासी महासभा के सलाहकार रामाश्रय प्रसाद सिंह, सीएमडब्ल्यू के केंद्रीय अध्यक्ष उपेंद्र सिंह, कृष्णा सिंह,जगदीश शर्मा, मनोरंजन मलिक, हरेंद्र सिंह, संजीत राउत, बीसीकेयू के आगम राम, कार्तिक दत्ता आदि मौजूद थे. यह भी पढ़ें : बाघमारा">https://lagatar.in/baghmara-the-dead-body-of-a-newborn-girl-found-in-joria/">बाघमारा: जोरिया में मिला नवजात बच्ची का शव [wpse_comments_template]

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