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निरसा: सूचना आयुक्त ने डीवीसी को लगाई फटकार

panchet : डीवीसी के वाणिज्यिक विभाग से सूचना कानून के तहत एके जैन द्वारा 10 बिंदुओं पर मांगी गई जानकारी में डीवीसी द्वारा आंशिक सूचना उपलब्ध कराने पर सूचना आयोग ने डीवीसी को झाड़ लगाते हुए चार सप्ताह के अंदर पूरी जानकारी मुफ्त में देने का आदेश दिया है. जानकारी हो कि एके जैन ने डीवीसी वाणिज्यिक विभाग से झारखंड एवं बंगाल के एचटी एवं एलटी बकायेदार उपभोक्ताओं की सूची मांगी थी. बकायेदारों द्वारा भुगतान नहीं करने की स्थिति में भेजे गये नोटिस का जबाब मांगा गया था. लेकिन डीवीसी ने सिर्फ उपभोक्ताओं की सूची उपलब्ध कराते हुए इसे वाणिज्यिक गोपनीयता करार देते हुए मना कर दिया. सीपीआईओ ने पत्र दिनांक 06. 8.2020 के तहत शिकायतकर्ता को जवाब दिया.  पीआईओ से प्राप्त उत्तर से असंतुष्ट शिकायतकर्ता ने प्रथम अपील दायर की.  एफएए का आदेश, यदि कोई हो, आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है, उसके बाद, शिकायतकर्ता ने सही और पूरी जानकारी प्रदान करने के अनुरोध के साथ आयोग के समक्ष शिकायत दायर की. शिकायतकर्ता अशोक कुमार जैन व्यक्तिगत रूप से सुनवाई में उपस्थित हुए. प्रतिवादी  बिश्वजीत मंडल, उप मुख्य अभियंता वाणिज्यिक भी सुनवाई में हाजिर हुए. सूचना आदि पृष्ठ 1 का 3 अपीलकर्ता ने अपने आरटीआई आवेदन की सामग्री को दोहराते हुए कहा कि उसने 10 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी. उन्होंने कहा कि उन्हें उपलब्ध कराई गई जानकारी आंशिक है. डीवीसी में उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें कई जानकारी देने से इंकार कर दिया गया था. आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 8 (1) (डी) के तहत तर्क दिया कि डीवीसी सार्वजनिक प्राधिकरण होने के नाते उनके द्वारा मांगी गई जानकारी को जनता के ध्यान में लाया जाना चाहिए. अपीलकर्ता ने आयोग को विवरण भी प्रस्तुत किया और जनहित में डीवीसी के भीतर कथित भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए पूरी जानकारी देने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि उनकी शिकायत को दूसरी अपील के रूप में माना जा सकता है, क्योंकि उन्हे सूचना की आवश्यकता है. प्रतिवादी ने उल्लेख किया कि अपीलकर्ता द्वारा मांगी गई जानकारी प्रदान नहीं की जा सकती, क्योंकि यह व्यापार रहस्यों से संबंधित है और उनकी व्यावसायिक रणनीति को प्रकट करेगी. प्रतिवादी ने किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की उपस्थिति से इंकार किया और आगे उल्लेख किया कि डीवीसी विनियमन के अनुसार कार्य करता है और किसी भी उपभोक्ता के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं रखता है. मामले के तथ्यों और दोनों पक्षों द्वारा किए गए प्रस्तुतीकरण को ध्यान में रखते हुए रिकॉर्ड पर उपलब्ध दस्तावेजों के अवलोकन के बाद, आयोग प्रतिवादी लोक प्राधिकरण के खिलाफ अपीलकर्ता द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों पर विचार करता है. दस्तावेजों के अवलोकन के बाद आयोग का दृढ़ विश्वास है और रिकॉर्ड करता है कि इस तात्कालिक मामले में सार्वजनिक हित सर्वोपरि है और यह कि व्यापक सार्वजनिक हित की भावना व्यापार रहस्य को खत्म कर देती है. शिकायत तदनुसार निस्तारित की जाती है. प्रमाणित सत्य. प्रति प्रमाणित प्रति यूनिट खर्च ऊर्जा क्षेत्र में अनियमितताओं का सीधा असर गरीब से गरीब व्यक्ति पर पड़ता है, क्योंकि बिजली क्षेत्र में कथित भ्रष्टाचार का बोझ उच्च प्रति यूनिट खर्च होता है जो बदले में उनके कंधों पर पड़ता है. जिनमें से कई समाज के सबसे गरीब वर्ग से आते हैं. इन बातों  के मद्देनजर, आयोग सीपीआईओ, डीवीसी को निर्देश देता है कि अपीलकर्ता द्वारा मांगी गई पूरी और विस्तृत जानकारी मुफ्त में उपलब्ध कराएं. इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से चार सप्ताह की अवधि के भीतर उपरोक्त निर्देशों का पालन किया जाएगा. यह भी पढ़ें : जामताड़ा">https://lagatar.in/jamtara-national-tuberculosis-control-program-will-run-till-january-9/">जामताड़ा

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