Nirsa : कहते हैं कि मजदूर का पसीना सूखने से पहले ही उसकी मजदूरी दे दी जाए, लेकिन यहां तो मजदूरों के खाने पीने के ही लाले पड़ गए हैं और उनका खून सूख रहा है. चिरकुंडा बोर्डर पर जिला प्रशासन ने कोरोना जांच के नाम पर वहां कर्मियों को तैनात कर रखा है. हर आने जाने वाले लोगों की कोरोना जांच करना उनका काम है. खुद की जान को जोखिम में डालकर वे कोरोना योद्धा के रूप में काम भी कर रहे हैं. परंतु विगत पांच माह से उन्हें वेतन नहीं दिया गया है. वेतन के अभाव में ये कर्मी अन्य कई विसंगतियों के बीच काम करने को विवश हैं. खान-पान की दिक्कतें, आसपास गंदगी का अंबार सहित कई कठिनाइयों के साथ उन्हें ड्यूटी करनी पड़ती है. लगातार संवाददाता ने जब इसकी पड़ताल की तो वहां तैनात कर्मियों का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने एग्यार कुंड प्रखंड के बीडीओ बिनोद कर्मकार पर आरोप मढ़ते हुए कहा कि पिछले पांच माह से उनका वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है. कर्मियों का कहना था कि खुद की जान जोखिम में डालकर वे काम कर रहे हैं. जिला प्रशासन भी मौन है. वेतन तो दूर, उन्हें खाना पीना तक नहीं मुहैया कराया जा रहा है. एग्यारकुंड बीडीओ बिनोद कर्मकार ने दूरभाष पर बताया कि चिरकुंडा उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता है. उल्टे ही वह सवाल पूछने लगे कि उनसे काम कौन करा रहा है, स्वास्थ्य विभाग से बात करिए. कुछ देर बाद बीडीओ साहब ने कहा कि धनबाद उपायुक्त और स्वास्थ्य विभाग तक बात पहुंचा दी है, जल्द ही समाधान कर लेंगे. यह भी पढ़ें : झरिया">https://lagatar.in/jam-in-jharia-bata-mod-the-patient-died-in-the-ambulance-itself/">झरिया
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निरसा : पांच माह से वेतन नहीं, जान हथेली पर ले काम कर रहे कोरोना योद्धा

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