राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कह चुके हैं कि डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (डीओजे) एक दिखावा है. वे एक निर्वाचित राष्ट्रपति हैं और वे बहुत ही जिम्मेदारी भरा बयान दे रहे हैं.
NewDelhi : गौतम अदानी, उनके भतीजे सागर अदानी और वरिष्ठ अधिकारी विनीत जैन पर अमेरिकी डीओजे द्वारा कोई रिश्वतखोरी का आरोप नहीं है. यह जानकारी अदानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने स्टॉक एक्सचेंज में जमा की गयी ताजा रिपोर्ट में दी है. अदानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने अपनी फाइलिंग में कहा है कि अदानी ग्रुप के अधिकारियों पर रिश्वत और भ्रष्टाचार के आरोपों की खबरें गलत हैं. एजीईएल के अनुसार, कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि हमारे डायरेक्टर्स, गौतम अदानी, सागर अदानी, और विनीत जैन पर अमेरिकी विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है. ऐसे दावे पूरी तरह गलत हैं.
कानूनी अभियोग में काउंट का मतलब अभियुक्त के खिलाफ लगाये गये व्यक्तिगत आरोपों से होता है
एजीईएल ने आगे कहा, गौतम अदानी, सागर अदानी, और विनीत जैन पर अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) के आरोपपत्र या अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ( एसईसी) के सिविल कंप्लेंट में एफसीपीए के किसी भी उल्लंघन का आरोप नहीं लगाया गया है. किसी कानूनी अभियोग में काउंट का मतलब अभियुक्त के खिलाफ लगाये गये व्यक्तिगत आरोपों से होता है. डीओजे के अभियोग में पांच काउंट (आरोप) हैं, लेकिन काउंट एक: एफसीपीए का उल्लंघन करने की साजिश में गौतम अदानी,, सागर अदानी, और विनीत जैन का नाम नहीं है और इन्हें इस काउंट से बाहर रखा गया है. इसी तरह, काउंट पांच: ‘‘न्याय में रुकावट डालने की साजिश’’ (पेज 41) में भी इन तीनों का नाम नहीं है.
डीओजे के अभियोग को लेकर विभिन्न मीडिया (विदेशी और भारतीय) की गलत समझ है
अभियोग का काउंट एक, जो भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोपों से संबंधित है, में केवल एज्युर पावर और सीडीपीक्यू (क्यूबेक का एक कनाडाई संस्थागत निवेशक और एज्युर का सबसे बड़ा शेयरधारक) के रंजीत गुप्ता, सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल का नाम है. इस काउंट में किसी भी अदानी, अधिकारी का नाम अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) ने नहीं लिया है. हालांकि, डीओजे के अभियोग को लेकर विभिन्न मीडिया (विदेशी और भारतीय) की गलत समझ, अदानी, के डायरेक्टर्स पर अमेरिकी डीओजे और एसईसी द्वारा भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोपों के बारे में गलत और लापरवाह रिपोर्टिंग का कारण बना है. अदानी, अधिकारियों पर केवल काउंट 2: कथित सिक्योरिटीज धोखाधड़ी साजिश, काउंट 3: कथित वायर धोखाधड़ी साजिश, और काउंट: कथित सिक्योरिटीज धोखाधड़ी के आरोप लगाये गये हैं.
अभियोग केवल इस बात पर आधारित हैं कि रिश्वत देने का वादा किया गया
डीओजे के अभियोग में यह कोई प्रमाण नहीं है कि अदानी अधिकारियों ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी थी. अभियोग और शिकायत केवल इस बात पर आधारित हैं कि रिश्वत देने का वादा किया गया था या उस पर चर्चा की गयी थी. यह सब केवल अनुमान और एज्युर पावर और सीडीपीक्यू के पूर्व कर्मचारियों की सुनी-सुनाई बातों पर आधारित है, जिससे अमेरिकी डीओजे और यूएस एसईसी द्वारा अदानी, के खिलाफ की गयी कार्रवाई कानूनी और नैतिक रूप से बहुत कमजोर बनाती है. अमेरिका की बिना आधार वाली कार्रवाई और लापरवाह गलत रिपोर्टिंग के कारण भारतीय समूह को अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं का रद्द होना, वित्तीय बाजार पर असर और रणनीतिक साझेदारों, निवेशकों और जनता द्वारा अचानक जांच-पड़ताल जैसे बड़े नुकसान उठाने पड़े हैं.
अदानी ग्रुप भारत की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी है,
अदानी ग्रुप भारत की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी है, जिसकी ग्लोबल एनर्जी और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में बड़े ऑपरेशंस हैं. पिछले कुछ सालों में, यह भारतीय समूह अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने काम को बढ़ा रहा है और अफ्रीका, बांग्लादेश, श्रीलंका, इज़राइल, ऑस्ट्रेलिया आदि में कई अमेरिकी और चीनी कंपनियों से सीधी प्रतिस्पर्धा कर रहा है.अमेरिकी डीओजे के अभियोग की जानकारी मिलने के बाद से, इस समूह को अपनी 11 लिस्टेड कंपनियों में लगभग 55 बिलियन डॉलर का बाजार मूल्य नुकसान झेलना पड़ा है.
अमेरिका से जो अभियोग आया है, इसका कोई आधार नहीं : जेठमलानी
राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा है कि अमेरिका से जो अभियोग आया है, इसका कोई आधार नहीं है और न ही उनके पास कोई सबूत हैं. बड़ी बात है कि यह पूरा मामला अदानी ग्रीन के बॉन्ड इश्यू करने को लेकर है और इसमें न ही अदानी ग्रुप या न ही अदानी ग्रीन को आरोपी बनाया गया है. इसके अलावा जेठमलानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि ये भारत की ग्रोथ स्टोरी को रोकने के लिए यह है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कह चुके हैं कि डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (डीओजे) एक दिखावा है. वे एक निर्वाचित राष्ट्रपति हैं और वे बहुत ही जिम्मेदारी भरा बयान दे रहे हैं. डीओजे अनुचित रूप से जल्दबाजी कर रहा है.
गौतम अदानी ने राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ की थी
उन्होंने कहा कि इस केस की टाइमिंग पर ध्यान देना चाहिए. जो बाइडेन सत्ता से बाहर हो चुके हैं. ऐसे में उनके शासन के समर्थित अधिकारियों ने देखा कि गौतम अदानी ने राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ की और शायद इसी कारण से कुछ समय से यह सब चल रहा है. अभियोग में अस्पष्टता और सबूत नहीं होना दिखाता है कि यह सब जल्दबाजी में किया गया है. भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल, मुकुल रोहतगी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि मैंने अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस का पूरा आरोप पत्र पढ़ा है, इसमें पांच आरोप हैं, जिसमें से एक और पांच में अदाणी के अधिकारियों का नाम नहीं है। पूरे आरोप पत्र में कही भी नहीं लिखा किस आदमी को कब और क्या घूस दी गयी है.